उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत को अपोषणीय माना यानी उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाकर राहत देने से इनकार किया

नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर रेप और पोक्सो एक्ट के गंभीर आरोप लगे थे। मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही मुकेश फरार चल रहे थे। मुकेश के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में पिछले दिनों गिरफ्तारी पर रोक(अरेस्ट स्टे)संबंधी याचिका लगाई जो खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने न्यायालय से अग्रिम जमानत(एंटीसिपेटरी बेल)की प्रार्थना की, जिसपर आज न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में सुनवाई हुई।

सरकार और पीड़िता पक्ष के अधिवक्ताओं द्वारा आरोपी की अग्रिम जमानत का पुरजोर विरोध किया गया। न्यायालय ने कहा कि पोक्सो(प्रीवेंशन ऑफ चाइल्ड फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस), एन.डी.पी.एस.(नार्कोटिस, ड्रग्स एंड साईकोट्रोफिक सब्सटेंस एक्ट)और पी.सी.(प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट)में जमानत पोषणीय नहीं है साथ ही आरोपी घोषित अपराधी है, जिसके विरुद्ध कुर्की वारंट जारी है। लिहाज, मुकेश को पोक्सो एक्ट के चलते अग्रिम जमानत देना अपोषणीय है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

गणेश मेवाड़ी

संपादक - मानस दर्पण
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