जनता की जीत, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गूंज – विशेषज्ञ डॉक्टर बेचैन

अल्मोड़ा के पंडित हरगोविंद पंत जिला चिकित्सालय में ई.एन.टी. विभाग की ओ.पी.डी. सेवाएं डॉ. मोनिका के पुनः कार्यभार ग्रहण करने के साथ पुनः प्रारंभ हो गई हैं। यह केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक संघर्षशील जनआंदोलन की जीत है – सत्य और सेवा के पक्ष में खड़े हर नागरिक, पत्रकार और जनप्रतिनिधि की सामूहिक सफलता।
प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी का हवाला दिया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि
महानिदेशक कार्यालय में तीन-तीन एनेस्थीसिया विशेषज्ञ प्रशासनिक कार्यों में लगाए गए हैं,
प्रमुख स्वास्थ्य महानिदेशक पद पर एक वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट तैनात हैं, और देहरादून के सी.एम.ओ. एक रेडियोलॉजिस्ट हैं।
क्या यह विशेषज्ञों की कमी है, या संसाधनों का जानबूझकर किया गया दुरुपयोग?
ट्रांसफर नीति भी केवल कागजों में सीमित है।
अल्मोड़ा में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी दशकों से जमे हुए हैं। देहरादून के कई अधिकारी भी वर्षों से कुर्सी पकड़कर बैठे हैं।
क्या ट्रांसफर नीति कुछ विशेष लोगों पर लागू नहीं होती?
क्या यह एक छुपा हुआ गिरोह है जो सिस्टम को बंधक बनाकर बैठा है?
सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग करते हैं—
ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच हो।
विशेषज्ञ डॉक्टरों को क्लिनिकल सेवाओं में तैनात किया जाए।
प्रभावी, पारदर्शी और समयबद्ध ट्रांसफर नीति लागू हो।
पर्वतीय जिलों को प्राथमिकता देते हुए विशेषज्ञों की स्थायी नियुक्तियां हों।

