चर्चा चौराहे की
व्यंग और कटाक्ष
आज चर्चा चौराहे में पर्यावरण प्रेमियों की व्यथा का उल्लेख है 😄
देबू राम एक पर्यावरण प्रेमी है पर्यावरण के प्रति उनकी काफी रुचि रही है देबू राम जी ने अपने जीवन में कभी एक पौधा लगाया नहीं पर बड़े-बड़े मंचों से उनके पर्यावरण प्रेम के भाषण पर्यावरण प्रेमी जनता सुनते रहती है अभी हल्द्वानी में सड़क के चौड़ीकरण को लेकर के जो पेड़ो का कटान हुआ है विषय गंभीर होने की वजह से चर्चाओं में रहा देबू राम इससे बहुत व्यथित हैं उनका मानना है कि सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर इस तरह पेड़ो का कटान नहीं होना चाहिए.
उनके परम मित्र व पर्यावरण प्रेमी सुंदरलाल जी (जो की देबू राम के साथ बैठे चाय पी रहे थे ) ने कहा जहां तक उनका मानना है कि वह असल में वाहनों को पार्किंग करने का स्थान बनने की दिशा में एक कदम है क्योंकि पूरी सड़क तो चौड़ी हो नहीं रही है कुछ हिस्सों को चौड़ा कर रहे हैं कुछ चौराहों को चौड़ा कर रहे हैं इससे होगा क्या जो वहां लोग बाजार में अपने चार पहिया वाहन लाएंगे उनको वहां पर खड़ा करने की एक सुविधा मिल जाएगी जिससे पार्किंग की समस्या भी हल हो जायगी गुरु पेड़ो के कटने का दुख तो उन ठेलो वालो से पूछो जो उसकी आड़ मे अपना रोजगार करते थे. अब ठेले को कहा लगाएंगे समस्या है सरकार रोजगार तो दे नहीं रही है जो लोग कर रहे हैं उनकी रोजी-रोटी की समस्या खड़ी कर रही है. सही कहा सुंदरलाल जी हो यही रहा है क्या करें हम तो आम आदमी हैं सिर्फ बातें ही कर सकते हैं.
इतनी बात करने के बाद सुंदरलाल जी अपनी चाय समाप्त करके चौराहे की चाय की दुकान से निकल गए पेमेंट बेचारे देबू राम जी को करना पड़ा जबकि वह सोच रहे थे इसका पेमेंट सुन्दरलाल जी करेंगे पर हुआ नहीं बेचारे ने भारी मन से दो चाय का पेमेंट किया और हाथ झड़ते हुए निकल गए बोले महंगा पड़ा पर्यावरण प्रेम यह बात अंतर मन से निकली थी.
जो होगा सो होगा हमें तो लगा वार्ता सही थी बाकि जनता सब जानती है. 🙏