लालकुआँ नगर निकाय चुनाव में भाजपा की करारी हार: 2027 विधानसभा चुनाव के लिए खतरे की घंटी?

लालकुआँ अभी अभी हाल ही में हुए नगर निकाय चुनाव के दौरान लालकुआ में भाजपा की हुई शर्मनाक हार ने पार्टी हाईकमान को आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया है।23 जनवरी को हुए चुनाव में भाजपा प्रतिद्वंदी बनना तो दूर तीसरे स्थान पर रह कर मात्र दो वार्डो में अपनी इज्जत बचा पायी है। यदि यही हाल रहा तो भाजपा को आगामी 2027 में होने वाले विधान सभा चुनाव में अपनी साख बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

यदि आंकड़ो की बात की जाय तो लालकुआ में 2003 के बाद हुए नगर निकाय चुनावो में भाजपा को लगातार तीसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के तमाम कद्दावर नेताओ की चाणक्य नीति भी पार्टी में पनपी गुटबाजी और भितरघात को खत्म करने में नाकाम साबित हुई।

विधान सभा चुनावो मे लगातार 2 बार बम्पर वोटों से चुनाव जीतने वाली भाजपा को शहर की सरकार बनाने में आखिर जनता क्यो नकार रही है,यह मनन योग्य विषय है।चुनावी सर्वे की बात की जाय तो अभी तक लालकुआ में नगर पंचायत चुनावों में भाजपा को किला फतह करने से पहले भितरघात की दीमक इस तरह चट कर जाती है कि हर बार भाजपा को भारी शिकस्त का सामना करना पड़ता है वही इस बार हुए चुनाव की बात की जाय तो पूरी रणनीति के साथ दिन रात लालकुआ में डेरा जमाए मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने घर-घर जाकर प्रत्येक वोटर की चौखट पर अपने तीन वर्षो के विकास कार्यो का हवाला देते हुये भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए खूब पसीना बहाया।परन्तु इस बार भी भाजपा को जीत का स्वाद तो दूर की बात रही विधायक अपने प्रत्याशी को चुनावी मुकाबले में भी खड़ा नही रख पाए। जनता ने इस बार भी भाजपा को बुरी तरह से नकारते हुए भाजपा प्रत्याशी प्रेम को चुनावी रेस में बाहर कर तीसरे स्थान पर लाकर पहुँचा दिया।अब चुनाव निबट चुके है और आगामी विधान सभा चुनाव को भी खासा समय है परंतु अब देखना यह है कि चुनाव में करारी हार से हाशिये पर पहुँची भाजपा दो वर्षों में जनता का दिल जीतने में कितना कामयाब हो पाती है फिलहाल आत्ममंथन के पड़ाव में खड़ी भाजपा को विधान सभा मे अपनी साख बचाना चुनौती बनकर खड़ा हो गया है।


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गणेश मेवाड़ी

संपादक - मानस दर्पण

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