सीवर के बाद सड़क का सीना छलनी! हल्द्वानी की सुरभि कॉलोनी में विकास की गंगा नहीं, मौत का गड्ढा बह रहा है!”

स्थान: सुरभि कॉलोनी, हल्द्वानी
जिम्मेदार संस्था: UUSDA (उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डिवेलपमेंट एजेंसी)
रिपोर्ट तिथि: 25 जून 2025
विशेष संवाददाता
हल्द्वानी:
विकास के नाम पर जनता के सब्र का इम्तिहान अब जानलेवा होता जा रहा है। हल्द्वानी की सुरभि कॉलोनी में हालात कुछ ऐसे हैं कि यहां ‘विकास’ शब्द अब व्यंग्य जैसा लगने लगा है। जहां एक ओर फाइलों में सीवर और पेयजल लाइन डालने का काम “समय से पहले” पूरा बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी सच्चाई यह है कि कॉलोनी की सड़कें मौत के गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं।
गड्ढे नहीं, खतरे की घंटी!
सीवर और पेयजल लाइनों की खुदाई के बाद कॉलोनी की सड़कों की मरम्मत को जैसे भुला ही दिया गया। हर गली, हर मोड़ अब कीचड़, धंसान और गड्ढों से भरा पड़ा है।
स्थानीय लोग आक्रोश में हैं। एक बुजुर्ग महिला ने कहा:
> “पहले पानी का संकट था, अब तो जान का संकट हो गया है। ये गड्ढे रोज़ किसी हादसे को बुलावा दे रहे हैं!”
दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक आना बंद हो चुके हैं और बच्चों के लिए स्कूल जाना अब एक जोखिम बन गया है।
UUSDA की सुस्त चाल से जनता बेहाल
बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट UUSDA के अधीन था और काम एक महीने पहले पूरा हो जाना था। लेकिन मौजूदा हालत से साफ है कि काम अधूरा छोड़ा गया है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि अधिकारियों ने केवल फोटो खिंचवाने के लिए सीवर डाल दिए, लेकिन मरम्मत का कोई ट्रैक ही नहीं रखा।
एक दुकानदार का बयान:
> “काम करने आए, गड्ढा खोदा, पाइप डाला, फोटो ली और निकल लिए। सड़क फिर जैसे-तैसे खुद ही भर जाए!”
सरकारी निगरानी तंत्र निष्क्रिय?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार के लोकल निरीक्षण अधिकारी और राजनीतिक गुप्तचर इस बदहाली को देख क्यों नहीं रहे? क्या ये लोग सही जानकारी ऊपर नहीं पहुंचा रहे, या फिर सरकार को जानबूझकर जनता की नज़रों में गिराने की कोशिश हो रही है?
जनता की चार अहम मांगें:
1. तत्काल प्रभाव से सड़क मरम्मत का आदेश दिया जाए।
2. जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई हो।
3. मुख्यमंत्री या उच्चस्तरीय निरीक्षण टीम खुद मौके का जायज़ा ले।
4. भविष्य में सड़क मरम्मत को कार्य योजना में शामिल करना अनिवार्य किया जाए।
निष्कर्ष:
कॉलोनी में बह रही यह ‘विकास की गंगा’ अब लोगों के लिए खतरनाक झील बन चुकी है। सुरभि कॉलोनी आज एक स्थानीय संकट नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है। अगर अब भी सुध नहीं ली गई, तो जनता का गुस्सा सड़कों तक सीमित नहीं रहेगा — वो सरकार की जवाबदेही तक पहुंच जाएगा।

