योग: आत्मा से परमात्मा की ओर विज्ञान, साधना और मोक्ष का महापथ

क्रियायोग: वह सनातन विधि जो खोलती है चेतना के द्वार, जोड़ती है मानव को ब्रह्म से

> 🗞️ विशेष रिपोर्ट | अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025
✍️ डॉ. मंजू लता गुप्ता

नई दिल्ली। 21 जून को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रही है। इस दिन योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मिक जागरूकता और मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य—परमसत्य की प्राप्ति की ओर एक प्रेरणादायक स्मृति है। परमहंस योगानन्दजी, जिन्हें योग का आधुनिक युग में प्रचारक और “योग के दूत” के रूप में जाना जाता है, कहते हैं:

> “योग का विज्ञान नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि यह आत्मा के उस परम सत्य से जुड़ा है जो स्वयं अनश्वर है।”

योग: चित्त की स्थिरता से आत्मा की शुद्धि तक

ऋषि पतंजलि के अनुसार, “योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः” — अर्थात चित्त की सारी वृत्तियों का निरोध ही योग है। जब आत्मा इस संसार में अवतरित होकर पंचेंद्रियों के जाल में उलझती है, तब मन के द्वंद्व और भ्रम में फंस जाती है। यही वह मोड़ होता है, जहां योग जीवन का पुनर्संतुलन करता है।

योग का सच्चा स्वरूप केवल शरीर की क्रियाओं तक सीमित नहीं, यह आत्मा की ब्रह्म में पुनर्प्रवेश की पद्धति है।

क्रियायोग: आत्मा को ब्रह्म से जोड़ने वाली वैज्ञानिक विधि

परमहंस योगानन्दजी द्वारा प्रचारित क्रियायोग — एक प्राचीन, परंतु सुव्यवस्थित साधना है, जो आत्मा को कर्म के बंधनों से मुक्त कर ब्रह्म के साथ मिलन की ओर ले जाती है। योगानन्दजी की विश्वप्रसिद्ध पुस्तक ‘योगी कथामृत’ में वर्णित है:

> “क्रियायोग एक विशिष्ट क्रिया है जो आत्मा को ब्रह्म के साथ एकत्व की स्थिति में ले जाती है।”

यह वही विधि है जिसे मृत्युंजय बाबाजी ने लाहिडी महाशय के माध्यम से जनसाधारण तक पहुँचाया — जिससे यह रहस्यात्मक विज्ञान केवल संन्यासियों तक सीमित न रहकर, हर इच्छुक साधक के लिए सुलभ हो सका।

भारत की विश्व को अमूल्य भेंट: योग

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के इस अमूल्य योगदान को सम्मानित करते हुए वर्ष 2015 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। परमहंस योगानन्दजी ने अमेरिका में Self-Realization Fellowship और भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (YSS) की स्थापना कर योग और क्रियायोग को वैश्विक चेतना का हिस्सा बना दिया।

हर आत्मा में है ब्रह्मांडीय ऊर्जा

योग विज्ञान मानता है कि मानव शरीर की ऊर्जा क्षमता सामान्यतः 50 वॉट के बल्ब जितनी होती है। लेकिन क्रियायोग के नियमित अभ्यास से साधक में करोड़ों वॉट की ब्रह्मांडीय ऊर्जा को धारण करने की सामर्थ्य विकसित होती है। YSS की वेबसाइट yssi.org पर जाकर इच्छुक साधक गृह-अध्ययन पाठमाला के माध्यम से क्रियायोग की विधियां सीख सकते हैं।

संकल्प: केवल शरीर नहीं, आत्मा का भी कल्याण करें

इस योग दिवस पर आवश्यक है कि हम योग को केवल शारीरिक व्यायाम के रूप में न देखें, बल्कि आत्मिक विकास के एक सशक्त माध्यम के रूप में अपनाएं।

> 🕉️ “योग वह दीप है जो आत्मा के अंधकार को जलाकर परमात्मा की ज्योति से जोड़ देता है।”

आज की भागती-दौड़ती, तनावग्रस्त जीवनशैली में योग ही वह मौन क्रांति है जो मनुष्य को उसकी मूल चेतना से जोड़ती है। क्रियायोग जैसे वैज्ञानिक साधनों के माध्यम से हम न केवल तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं, बल्कि आत्मा की उस परम यात्रा को भी आरंभ कर सकते हैं, जिसकी ओर सभी धर्म, दर्शन और विज्ञान इशारा करते हैं।

🗓️ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आइए, तन के साथ मन और आत्मा को भी स्वस्थ बनाएं। योग करें — आत्मा की आवाज़ सुनें।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण