सांसद, विधायक, एमएलसी, मंत्री व नेताओं पर किये जा रहे बेफजूल खर्चे जैसे-पेंशन, चिकित्सा सुविधा, बिजली, फोन बिल सहित सुविधायें बन्द करने की सुप्रीमकोर्ट से मांग

सांसद, विधायक, एमएलसी, मंत्री व नेताओं पर किये जा रहे बेफजूल खर्चे जैसे-पेंशन, चिकित्सा सुविधा, बिजली, फोन बिल सहित सुविधायें बन्द करने की सुप्रीमकोर्ट से मांग

करन सिंह
लखनऊ। एण्टीक्रप्शन एण्ड क्राइम इन्वेस्टीगेशन फ्रण्ट/संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ0 ईश्वर सहाय शर्मा ‘गुरूजी’ ने एक प्रत्यावेदन दिनांक 10 अगस्त 2024 को डॉ0 डी.वाई. चंद्रचुड़ जी मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को अपील भेजकर सांसद, विधायक, एमएलसी,मंत्री व नेताओं पर किये जा रहे बेफजूल खर्चे जैसे-पेंशन, चिकित्सा सुविधा, बिजली, फोन बिल सहित अन्य सुविधायें बन्द करने की मांग की है। ताकि जनता की अरबों की गाढ़ी कमाई भ्रष्टाचार की भेट न चढ़ सकें।
गुरूजी ने बताया कि पिछले 10 वर्षाे से सैकड़ों प्रत्यावेदन महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री व चुनाव आयोग को भेजे थे। किन्तु उन प्रत्यावेदनों पर आज तक जनहित में कोई कार्यवाही नही की गयी और न ही उन प्रत्यावेदनों का उत्तर दिया गया। मैंने प्रत्यावेदनो के माध्यम से मांग की थी कि सांसद, विधायक, एमएलसी मंत्री व नेताओं की पेंशन सहित अन्य सुविधायें जैसे-चिकित्सा सुविधा, बिजली व फोन बिल बन्द की जाये और वह धनराशि गरीब जनता पर खर्च की जाये। तभी देश खुशहाल बनेगा। मा0 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का नारा था कि न भ्रष्टाचार करूंगा न करने दूंगा, वह भी फेल हो गया।
देश में विधायक 4120 व एमएसली 462 और 776 सांसद हैं। इन सांसदों को वेतन भत्ता मिलाकर प्रतिमाह 5 लाख दिया जाता है अर्थात कुल सांसदों का वेतन प्रति माह 38 करोड़ 80 लाख है और प्रत्येक वर्ष सांसदों को 465 करोड़ 60 लाख रुपया वेतन भत्ता में दिया जाता है अर्थात देश के सांसदो व विधायकों के पीछे प्रतिवर्ष 15 अरब 65 करोड़ 60 लाख रूपये खर्च होता है। जबकि यह इनके मूल वेतन भत्ते की बात हुयी है। इसके अलावा आवास, रहने, खाने, यात्रा भत्ता, टेलीफोन व बिजली बिल, इलाज, विदेशी सैर-सपाटा व लग्जरी गाड़ी आदि का खर्च भी लगभग इतना ही होता है। अर्थात लगभग 30 अरब रूपये सांसदो, विधायको पर खर्च होता है। सांसदों की सुरक्षा पर प्रति वर्ष 164 करोड़ रूपये खर्च होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति पहले पार्षद रहा हो, बाद में विधायक बन जाता है और फिर इसके बाद सांसद बन जाता है, तो उसे एक नहीं बल्कि 3-3 बार की पेंशन मिलती है। यह देश के नागरिकों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया जा रहा है, इसे तत्काल प्रभाव से रोकने के लिये भारतीय सुधार अधिनियम में संशोधन किया जाना आवश्यक है। केन्द्रीय वेतन आयोग को इस पर अंकुश लगा देना चाहिये। गरीबों, अल्प आय वाले व्यक्तियों से टैक्स के रूप में और उनके खून-पसीने की गाढ़ी कमाई से प्राप्त होता है। इसके बदले में गरीब लोगों को क्या मिलता है? केवल ढाक के तीन पात। क्या यही है लोकतंत्र? सांसद, विधायक, एमएलसी, मंत्री व नेताओं पर सरकार द्वारा किया जा रहा बेफजूल खर्चा जैसे-पेंशन, चिकित्सा सुविधा, बिजली, फोन बिल सहित अन्य सुविधायें बन्द करने के आदेश पारित किया जायें।

गणेश मेवाड़ी

संपादक - मानस दर्पण
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