उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम: गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़

उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों के एडमिशन के नियमों में विसंगतियां सामने आई हैं, जिससे गरीब बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। इस अधिनियम के तहत कक्षा 1 में एडमिशन के लिए बच्चे की आयु 6 वर्ष होनी चाहिए, जबकि प्ले स्कूल में एडमिशन के लिए आयु 3 वर्ष निर्धारित की गई है।

*अन्याय की कहानी:*

– *आयु सीमा*: अगर किसी बच्चे का जन्म 31 मार्च के बाद हुआ है, तो उसे एडमिशन नहीं मिल पाता है।
– *2 दिन का चक्कर*: जिन बच्चों का जन्म 2 अप्रैल को हुआ है, उन्हें 2 दिन के चक्कर में पूरा साल बर्बाद हो जाता है।
– *जन्म प्रमाण पत्र का दुरुपयोग*: कई धन्ना सेठों ने अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र दोबारा बना लिया है।

*शिक्षा विभाग की लापरवाही:*

– *फाइल का खेल*: शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने शासन में फाइल भेजी है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है।
– *अधिकारियों की अनदेखी*: शिक्षा विभाग के अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं।

*गरीब बच्चों की वेदना:*

– *अधिनियम का लाभ*: शिक्षा के अधिकार अधिनियम का लाभ गरीब बच्चों को नहीं मिल पा रहा है।
– *धन्ना सेठों के बच्चे*: धन्ना सेठों के बच्चों को आसानी से एडमिशन मिल जाता है, जबकि गरीब बच्चे वंचित रह जाते हैं।
– *तहसील की भूमिका*: तहसील में आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए ₹500 की मांग की जाती है, जबकि धन्ना सेठों की आय की जांच नहीं होती है।
– *आय प्रमाण पत्र का आसान तरीका*: सीएससी सेंटर में जाकर आप आसानी से ₹200 से 500 देकर अपना आय प्रमाण पत्र बना सकते हैं।

*सरकारी स्कूलों की दुर्दशा:*

– *अधिनियम का प्रभाव*: सरकारी स्कूलों की दुर्दशा का कारण भी यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम ही है।
– *बच्चों का पलायन*: बच्चे सरकारी स्कूलों में न जाकर शिक्षा के अधिकार में अपना एडमिशन ले रहे हैं।

गरीब बच्चों को नही मिल पा रहा लाभ

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। इस अधिनियम के तहत निम्नलिखित बच्चों को एडमिशन मिलना चाहिए:

– *आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे*: जिन बच्चों के परिवार की वार्षिक आय एक निश्चित सीमा से कम है, वे इस अधिनियम के तहत एडमिशन के हकदार हैं।
– *अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चे*: इन वर्गों के बच्चों को भी इस अधिनियम के तहत एडमिशन मिलना चाहिए।
– *विकलांग बच्चे*: विकलांग बच्चों को भी इस अधिनियम के तहत एडमिशन मिलना चाहिए।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण