स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम, आर.टी.आई. एक्टिविस्टों की मुहिम रंग लाई

भीमताल व अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों से हिला निदेशालय, राज्यभर में चिकित्सकों की तैनाती की रिपोर्ट मांगी गई

देहरादून/नैनीताल।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं के खिलाफ दायर आर.टी.आई. अब असर दिखाने लगी हैं। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय ने एक अहम आदेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और अस्पताल अधीक्षकों से एक माह के भीतर MBBS और PG डिग्रीधारी डॉक्टरों की तैनाती एवं सेवा स्थिति की विस्तृत जानकारी मांगी है।

यह कार्रवाई भीमताल निवासी पूर्व कृषि अधिकारी और आर.टी.आई. एक्टिविस्ट चंद्रशेखर जोशी द्वारा दायर आर.टी.आई. के आधार पर की गई है। उनके साथ अल्मोड़ा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे भी लगातार भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष में सक्रिय हैं। दोनों ने मिलकर स्वास्थ्य विभाग में वर्षों से जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार को उजागर करने का साहसिक कार्य किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया से निदेशालय स्तर पर कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। आने वाले समय में भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर भी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।

जनता को मिलेगा सीधा लाभ
स्वास्थ्य विभाग की इस पहल से यह स्पष्ट हो सकेगा कि वर्तमान में प्रदेश में कितने चिकित्सक कार्यरत हैं और किन क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है। यह न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, बल्कि दूर-दराज़ के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा।

आर.टी.आई. एक्टिविस्टों का कहना है:
“हमारी लड़ाई केवल आंकड़ों की नहीं, बल्कि उन गरीब और वंचित लोगों की है जिन्हें समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। भ्रष्टाचार मुक्त स्वास्थ्य विभाग ही प्रदेश की सबसे बड़ी आवश्यकता है।”

यह मामला राज्य में आर.टी.आई. के माध्यम से चल रहे सामाजिक संघर्ष का उदाहरण बनकर सामने आया है, जिसने प्रशासन को कार्रवाई के लिए बाध्य कर दिया।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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