धामी सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने पर आम्रपाली विश्वविद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन

शिक्षा, विकास और सुशासन पर विशेषज्ञों ने रखे विचार — पुस्तक ‘उत्तराखण्ड का कर्मयोगी पुष्कर सिंह धामी’ का हुआ विमोचन

हल्द्वानी। आम्रपाली विश्वविद्यालय में शनिवार को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक भव्य विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिक्षा, शासन, विकास और समाज के विभिन्न पहलुओं पर विशिष्ट जनों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों—एन०टी०ए० के अध्यक्ष प्रो० (डा०) प्रदीप जोशी, माननीय विधायक कालाढूंगी श्री बंशीधर भगत, हल्द्वानी के महापौर श्री गजराज बिष्ट, कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो० (डा०) नवीन चन्द्र लोहनी, कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय प्रो० (डा०) सतपाल सिंह बिष्ट, पूर्व कुलपति दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय प्रो० (डा०) धनञ्जय जोशी, मीडिया सलाहकार समिति उत्तराखण्ड सरकार के अध्यक्ष प्रो० (डा०) गोविन्द सिंह तथा जनसंख्या विश्लेषण समिति के अध्यक्ष श्री दिनेश मानसेरा द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की गई।

इस अवसर पर महानिर्देशक यूकॉस्ट देहरादून प्रो० (डा०) दुर्गेश पंत तथा कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय प्रो० (डा०) दीवान सिंह रावत ने ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित किया। विश्वविद्यालय के सीईओ डा० संजय ढींगरा, सचिव श्रीमती बिन्दू चावला, संयुक्त सचिव श्री मयंक ढींगरा तथा कुलपति प्रो० (डा०) नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने अतिथियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

‘उत्तराखण्ड का कर्मयोगी पुष्कर सिंह धामी’ पुस्तक का विमोचन

इस अवसर पर श्री मदनमोहन सती द्वारा लिखित पुस्तक ‘उत्तराखण्ड का कर्मयोगी पुष्कर सिंह धामी’ का लोकार्पण भी किया गया।

तीन सत्रों में हुआ आयोजन — सुशासन से लेकर शिक्षा सुधार तक हुई चर्चा

कार्यक्रम तीन चरणों में सम्पन्न हुआ।
पहले सत्र में कुलपति आम्रपाली विश्वविद्यालय प्रो० (डा०) नरेन्द्र सिंह बिष्ट, विधायक श्री बंशीधर भगत तथा प्रो० (डा०) प्रदीप जोशी ने अपने विचार रखे।
प्रो० बिष्ट ने धामी सरकार की चार वर्षों की उपलब्धियों का विस्तृत उल्लेख करते हुए राज्य में संस्थागत सुधार, सुशासन और समावेशी विकास की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला।
विधायक श्री बंशीधर भगत ने मुख्यमंत्री धामी की कार्यनिष्ठा और निर्णय क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश को नई दिशा दी है।
प्रो० (डा०) प्रदीप जोशी ने राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की परिवर्तनकारी भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मूल्य आधारित, तकनीकी रूप से सशक्त और पारदर्शी शिक्षा व्यवस्था ही भविष्य के भारत का आधार बनेगी।

दूसरे सत्र में प्रो० (डा०) नवीन चन्द्र लोहनी ने दूरस्थ शिक्षा और मातृभाषाओं—कुमाऊनी व गढ़वाली—के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रो० (डा०) सतपाल सिंह बिष्ट ने जैविक खेती और स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग की बात कही, जबकि प्रो० (डा०) धनञ्जय जोशी ने शिक्षकों के प्रशिक्षण एवं शिक्षा में नवाचार को समय की मांग बताया।

तीसरे सत्र में प्रो० (डा०) दुर्गेश पंत ने जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा करते हुए धामी सरकार के प्रयासों की सराहना की।
प्रो० (डा०) दीवान सिंह रावत ने अनुसंधान और नवाचार से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
प्रो० (डा०) गोविन्द सिंह ने समान नागरिकता कानून पर अपने विचार रखते हुए कहा कि इसे सबसे पहले उत्तराखण्ड में लागू कर धामी सरकार ने इतिहास रचा है।
युवा फिल्म निर्माता राहुल रावत ने उत्तराखण्ड में फिल्म निर्माण से जुड़े अवसरों और नीतियों पर चर्चा की, वहीं श्री दिनेश मानसेरा ने सनातन संस्कृति और समाज के मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम संचालन और सहभागिता

कार्यक्रम का संचालन बिजनेस उत्तरायणी के संस्थापक श्री नीरज बवाड़ी ने किया, जबकि समन्वय की भूमिका विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो० (डा०) एम० के० पाण्डेय ने निभाई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० (डा०) नरेन्द्र सिंह बिष्ट, प्रतिकुलपति प्रो० (डा०) एस०के० सिंह, कुलसचिव डा० अमनजीत सेठी, प्रशासनिक अधिकारी श्री शान्तनु विश्नोई, सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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