“आपदा में जान की बाजी लगाई, फिर भी एफआईआर? – अभियंताओं ने उठाई कार्रवाई पर सवाल, चेताया आंदोलन से!”

इंजीनियर्स फेडरेशन की आपात बैठक में फूटा गुस्सा, बोले– ‘अब चुप नहीं बैठेंगे’
> ❝जान हथेली पर रखकर सेवा की, अब अभियंता अपमानित क्यों?
तकनीक का सम्मान चाहिए, न कि तानाशाही बर्ताव!❞
श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल), 14 सितंबर जिलाधिकारी पौड़ी द्वारा अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की कार्रवाई को लेकर प्रदेशभर के अभियंताओं में जबरदस्त नाराजगी है। उत्तराखण्ड इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस कदम को ‘एकतरफा, तानाशाही और तकनीकी तर्कों की अनदेखी’ बताया है।
इस संबंध में फेडरेशन की आपात प्रांतीय कार्यकारिणी बैठक रविवार को ऑनलाइन आयोजित की गई, जिसमें लोक निर्माण, सिंचाई, पेयजल, यूपीसीएल, पिटकुल, जल विद्युत निगम सहित तमाम विभागों के अभियंता संगठनों ने भाग लिया।
क्या है मामला?
दिनांक 11 सितंबर को भारी वर्षा के चलते श्रीनगर-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का लगभग 40-45 मीटर हिस्सा वाशआउट हो गया था। हालात बेहद विकट थे – लगातार भूस्खलन, हिल साइड से पत्थर गिरना और नीचे बहती अलकनंदा नदी का कटाव।
इन कठिन परिस्थितियों में अधिशासी अभियंता और उनकी टीम ने पोकलैंड मशीन लगाकर हिल साइड से कटान करते हुए रास्ता खोलने का प्रयास किया, ताकि मार्ग शीघ्र चालू हो सके। इस दौरान श्रमिकों और कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर काम किया।
> तकनीकी विशेषज्ञता के अनुसार वैली साइड पर अस्थायी मरम्मत संभव नहीं थी। THDC के सहयोग से विस्तृत DPR बनाकर केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है, जिस पर स्वीकृति की प्रतीक्षा है।
जिलाधिकारी की प्राथमिकी से मचा हड़कंप
इन तमाम तथ्यों के बावजूद जिलाधिकारी, पौड़ी द्वारा एफआईआर दर्ज कराना अभियंताओं को नागवार गुज़रा है। फेडरेशन ने इसे “हठधर्मिता पूर्ण, अपमानजनक एवं मनमानी कार्रवाई” करार दिया।
बैठक में कहा गया कि यह कार्रवाई ब्रिटिश कालीन नौकरशाही सोच को दर्शाती है और आपदा में कार्य कर रहे तकनीकी कर्मचारियों का मनोबल गिराती है।
फेडरेशन की चेतावनी – नहीं मानी मांगे, तो आंदोलन तय
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि सरकार ने मांगें नहीं मानीं, तो प्रदेशभर में अभियंता आंदोलन करेंगे:
15 सितंबर को – सभी जिलों में डीएम के माध्यम से ज्ञापन।
16 सितंबर को – विधायकों/सांसदों के माध्यम से शासन को ज्ञापन, अभियंता काली पट्टी पहनकर करेंगे कार्य।
17 सितंबर को – अगली कार्यकारिणी बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
फेडरेशन की चार प्रमुख मांगे:
1. एफआईआर तत्काल प्रभाव से निरस्त हो।
2. जिलाधिकारी के विरुद्ध विभागीय जांच कर कार्रवाई की जाए।
3. यदि उनकी कार्रवाई से आपदा राहत प्रभावित होती है, तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाए।
4. भविष्य में जिलाधिकारी जैसे पदों पर व्यावहारिक, समन्वयशील और ज़मीनी हकीकत से जुड़े अफसरों की नियुक्ति हो।
फेडरेशन ने कहा – अभियंताओं का अपमान अब नहीं सहेगा उत्तराखण्ड
फेडरेशन के प्रांतीय महासचिव जितेन्द्र सिंह देव ने साफ कहा कि यह मामला सिर्फ एक अभियंता का नहीं, बल्कि पूरे तकनीकी समुदाय की गरिमा का सवाल है। अगर सरकार ने अभियंताओं की बात नहीं सुनी, तो आंदोलन ज़रूरी होगा।

