पंचायती राज की संवैधानिक भावना को भाजपा सरकार ने किया तार-तार: यशपाल आर्य

देहरादून, 21 जून — उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर राज्य सरकार के निर्णय पर नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य ने तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पंचायती राज की संवैधानिक अवधारणा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है और न ही पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों का पालन किया, न ही उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों का।

श्री आर्य ने कहा कि सरकार के महाधिवक्ता ने एक दिन पहले ही उच्च न्यायालय में यह आश्वासन दिया था कि आरक्षण में मौजूद विसंगतियों को लेकर सरकार तीन दिन के भीतर जवाब दाखिल करेगी। लेकिन इसके उलट, सरकार ने जवाब देने के बजाय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी, जो कि न्यायालय के साथ विश्वासघात है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2016 में कांग्रेस सरकार ने पंचायत आरक्षण में रोटेशन प्रणाली लागू की थी, जिससे हर वर्ग को प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत ओबीसी वर्ग के आरक्षण को वर्मा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण के अनुसार तय किया जाना चाहिए था, जबकि अन्य वर्गों का आरक्षण 2019 के चुनावों के आधार पर द्वितीय चरण के रोटेशन के अनुसार होना चाहिए था।

नेता प्रतिपक्ष ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के मनमाने फैसले के कारण कई सीटें तीसरी या चौथी बार एक ही वर्ग के लिए आरक्षित हो गई हैं, जिससे अन्य वर्गों के लोगों को जीवन में एक बार भी प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं मिल सकेगा। यह आरक्षण प्रणाली की मूल भावना के खिलाफ है, जिसमें हर वर्ग को हर पांच साल में रोटेशन के आधार पर प्रतिनिधित्व देने का स्पष्ट प्रावधान है।

श्री आर्य ने आरोप लगाया कि सरकार ने पंचायतों के हर स्तर के लिए अलग-अलग फार्मूला बनाकर आरक्षण तय किया है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार पुराने रोस्टर को ही आगे बढ़ाकर पिछड़े वर्गों को शून्य से आरक्षण देना था, लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह अनदेखा किया।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी द्वारा शुरू किए गए पंचायत राज सुधारों की मूल भावना यह थी कि समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले। परंतु उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने अपने चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए इस भावना को चकनाचूर कर दिया है।

श्री आर्य ने सरकार से मांग की है कि वह अदालत में दिए गए आश्वासन का पालन करे और पंचायत चुनावों की अधिसूचना को तत्काल वापस लेकर आरक्षण प्रणाली को संविधान और न्यायालय के आदेशों के अनुरूप पुनः निर्धारित करे।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण