अंकिता भंडारी हत्याकांड: न्यायालय का फैसला, लेकिन सवाल अभी भी बरकरार

कोटद्वार की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में तीनों आरोपियों — पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता — को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस फैसले का स्वागत करते हुए भी प्रदेश की जनता के मन में कई सवाल हैं जो अभी भी बरकरार हैं।

*वीआईपी की पहचान सार्वजनिक करने की मांग*

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:

1. वीआईपी की पहचान सार्वजनिक की जाए और उस पर कानूनी कार्रवाई हो।
2. सुप्रीम कोर्ट में अपील कर फांसी की सज़ा की मांग की जाए।
3. एक स्वतंत्र न्यायिक जांच आयोग गठित किया जाए, जो इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करे।

*सवाल जो अभी भी बरकरार हैं*

– रिजॉर्ट क्यों तोड़ा गया?
– वीआईपी के लिए कानून धीमा क्यों?
– क्या न्यायालय का फैसला आने के बाद भी वीआईपी की पहचान छुपाई जा सकती है?

*न्यायालय के फैसले का सम्मान*

न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए भी प्रदेश की जनता चाहती है कि वीआईपी की पहचान सार्वजनिक की जाए और उस पर कानूनी कार्रवाई हो। यह मामला अभी भी सुर्खियों में है और जनता को न्याय की उम्मीद है।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण