गरीब की हर सांस में बसा एक नाम – तोलिया जी”

हल्द्वानी नैनीताल के रामणी आन सिंह पनियाली, उत्तराखंड:

राजनीति के शोरगुल और वादों के इस दौर में, एक नाम ऐसा भी है जो न बैनरों पर दिखता है, न टीवी की बहसों में गूंजता है — फिर भी हर गांव, हर गली में एक ही आवाज़ है: “तोलिया जी… तोलिया भैया!”

सेवा जो दिखती नहीं, लेकिन दिलों को छू जाती है

प्रमोद तोलिया — एक ऐसा नाम, जो उत्तराखंड के इस अंचल में सेवा का पर्याय बन चुका है। उन्होंने कभी मंच नहीं चाहा, न ही मीडिया की चकाचौंध। उनका जीवन एक ही मकसद के लिए समर्पित रहा: “जरूरतमंद तक चुपचाप मदद पहुंचाना, बिना कोई एहसान जताए।”

> “गर्मी की दोपहर हो या सर्द रात की ठिठुरन – उनका दरवाज़ा कभी किसी ज़रूरतमंद के लिए बंद नहीं होता।”

जनता के दिलों से उठी आवाज़ – “तोलिया जी, हमारा नेता कैसा हो?”

जब हमारी टीम रामणी आन सिंह पनियाली में भ्रमण पर निकली, तो हर चौक-चौराहे, खेत-खलिहान और घरों के आंगन से एक ही स्वर गूंजता मिला:
“तोलिया जी! तोलिया जी!”

स्थानीय निवासी कमल भट्ट बताते हैं:

> “जब मेरे बेटे का इमरजेंसी ऑपरेशन होना था, और कोई आगे नहीं आया, तोलिया भैया ही थे जिन्होंने डॉक्टर से बात की, अस्पताल पहुंचाया और पूरा खर्च उठाया। आज मेरा बेटा जिंदा है – सिर्फ उनकी वजह से।”

अब सेवा की मशाल थाम रहीं हैं – बेला तोलिया

अब यही सेवा की भावना लेकर बेला तोलिया चुनावी मैदान में हैं।
शिक्षित, सहज और विनम्र स्वभाव की बेला दीदी, क्षेत्र की महिलाओं, बेटियों और बुज़ुर्गों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

उनका विजन साफ है:
शिक्षा – सम्मान – सेवा।

> “राजनीति हमारे लिए सत्ता नहीं, सेवा की साधना है।”
– बेला तोलिया

 

राजनीति नहीं, समाजसेवा का संकल्प

तोलिया परिवार की राजनीति किसी जाति, धर्म या स्वार्थ पर नहीं – बल्कि इंसानियत की भावना पर आधारित है।

> “राजनीति अगर सेवा नहीं बन सकी, तो वो सिर्फ सत्ता की प्यास है।”
– प्रमोद तोलिया

निष्कर्ष: जब दुआएं ही बन जाएं पहचान

प्रमोद तोलिया ने सिद्ध किया कि बिना पद और प्रचार के भी जनता के दिलों में जगह बनाई जा सकती है।
अब जब बेला तोलिया उन्हीं मूल्यों को आगे बढ़ा रही हैं, तो जनता को भरोसा है –
उन्हें नेता नहीं, एक सेवक मिलेगा।

> “सेवा वो जो दिखे नहीं, मगर असर लोगों के दिलों में झलके – यही है तोलिया जी की पहचान।”


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण