प्रयागराज में नहाने के लायक भी नहीं है नदियों का पानी, केंद्रीय एजेंसी की रिपोर्ट से खुलासा

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी CPCB की एक रिपोर्ट ने हंगामा खड़ा कर दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रयागराज में गंगा और यमुना का जल बुरी तरह प्रदूषित है और इसमें फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा तय मात्रा से कई गुना अधिक है। रिपोर्ट में इस जल को नहाने योग्य भी नहीं माना गया है।

बुनियादी शर्तों को पूरा नहीं करता पानी
सीपीसीबी ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने के योग्य नहीं है। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज में दोनों नदियों का पानी नहाने के पानी के बुनियादी शर्तों को भी पूरा नहीं करता है। सीपीसीबी ने यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में जमा करवाई है। उसने इस रिपोर्ट को तीन फरवरी को तैयार किया था।

मानक से कई गुना है मात्रा
सीपीसीबी के मुताबिक किसी पानी में फीकल (मल) कोलीफॉर्म की स्वीकार्य मात्रा 100 मिलीलीटर में 2500 यूनिट तक है। इससे अधिक पाए जाने पर पानी को प्रदूषित माना जाता है। प्रयागराज में ये मात्रा मानक मात्रा से कई गुना अधिक है। मल कोलीफार्म बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का एक समूह है। पानी में उनकी मौजूदगी पानी में सीवेज या पशु अपशिष्ट से प्रदूषण का संकेत है। अगर किसी पानी में मल कोलीफॉर्म पाया जाता है तो उसमें वायरस, साल्मोनेला और ई कोलाई जैसे खतरनाक पैथोजन की मौजूदगी की आशंका बढ़ जाती है

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गिरीश भट्ट

एडिटर - मानस दर्पण
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