यूजेवीएनएल का उत्पादन शून्य, पीपीएम बढ़ने से 700 मेगावाट की बिजली हानि, ग्रिड स्थिरता बनाए रखने को रोस्टरिंग शुरू

देहरादून उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) से जुड़े सभी जल विद्युत संयंत्रों का उत्पादन फिलहाल शून्य पर पहुंच गया है। इस संकट का मुख्य कारण नदियों में पीपीएम (Parts Per Million) स्तर का अत्यधिक बढ़ जाना है, जिससे लगभग 700 मेगावाट की कुल बिजली उत्पादन हानि हो चुकी है।

इस अप्रत्याशित स्थिति के परिणामस्वरूप, लगभग 500 मेगावाट की बिजली की कमी सामने आई है, जिसे पूरा करने के लिए उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने आज शाम 7:15 बजे से फर्नेस रोस्टरिंग लागू कर दी है। यदि बिजली की मांग और अधिक बढ़ती है या ग्रिड की आवृत्ति और गिरती है, तो टाउन रोस्टरिंग भी लागू की जा सकती है।

क्या होता है पीपीएम और क्यों है यह संकट का कारण?

पीपीएम का अर्थ होता है “पार्ट्स पर मिलियन” – यानी पानी में घुले या निलंबित ठोस कणों की मात्रा। भारी बारिश और मानसूनी प्रवाह के कारण नदियों में गाद, मिट्टी और मलबे की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जिससे पीपीएम स्तर नियंत्रण सीमा से ऊपर चला जाता है।

उच्च पीपीएम के कारण उत्पादन रुकने के मुख्य कारण:

1. टरबाइनों को नुकसान का खतरा
अत्यधिक गादयुक्त पानी टरबाइन ब्लेड को क्षतिग्रस्त कर सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे हालात में संयंत्रों का संचालन रोकना पड़ता है।

2. रख-रखाव में अत्यधिक वृद्धि
गंदे पानी के कारण फिल्टर, टरबाइन और पाइपिंग सिस्टम को बार-बार साफ करना पड़ता है, जिससे परिचालन खर्च बढ़ जाते हैं।

3. स्वचालित शटडाउन प्रणाली सक्रिय
पावर प्लांट्स में पीपीएम की सीमा सामान्यतः 300–500 के बीच निर्धारित होती है। इसे पार करने पर संयंत्र स्वतः बंद हो जाते हैं ताकि कोई गंभीर क्षति न हो।

4. कूलिंग और पाइपिंग सिस्टम बाधित
गादयुक्त पानी पाइपों को जाम कर सकता है, जिससे पूरी कूलिंग प्रणाली प्रभावित हो जाती है।

आगे की संभावनाएं

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि यदि वर्षा इसी प्रकार जारी रही और पीपीएम स्तर में गिरावट नहीं आई, तो यह बिजली संकट और गहराने की संभावना बन सकती है। ऐसे में बिजली उपभोक्ताओं से भी अपील की गई है कि वे बिजली की अनावश्यक खपत से बचें और संकट की इस घड़ी में सहयोग करें।

 


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण