हल्द्वानी की हाई प्रोफाइल सीट पर सियासी महाभारत! भाजपा के दो दिग्गज परिवार आमने-सामने, बेला बनाम छवि में कांटे की टक्कर तय

हल्द्वानी। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही सियासी पारा चढ़ गया है। विशेषकर हल्द्वानी की एक जिला पंचायत सीट तो इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। वजह साफ है – इस सीट पर भाजपा के दो मजबूत और प्रभावशाली चेहरों के बीच सीधा मुकाबला होने जा रहा है।

एक ओर हैं वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, जिन्होंने इस सीट से दोबारा दावेदारी पेश की है। वहीं दूसरी ओर मैदान में उतर चुकी हैं डॉ. छवि कांडपाल बोरा, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रमोद बोरा की पत्नी हैं। यह मुकाबला इसलिए भी खास हो गया है क्योंकि दोनों पक्ष भाजपा से ही जुड़े हुए हैं, और दोनों के पास संगठन, अनुभव व जनाधार की कोई कमी नहीं है।

🔥 पहले ही छिड़ गई थी चुनावी जंग

अधिसूचना से काफी पहले ही छवि कांडपाल बोरा और प्रमोद बोरा ने प्रचार अभियान की कमान संभाल ली थी। युवा टीम, सोशल मीडिया कैंपेन और जमीनी स्तर पर जनसंपर्क के साथ उन्होंने यह संदेश दे दिया कि वे इस बार पूरी ताकत से चुनावी मैदान में हैं। प्रमोद बोरा का हल्द्वानी में राजनीतिक रसूख किसी से छिपा नहीं है। मेयर चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गजराज सिंह बिष्ट को जिताने में उनकी रणनीतिक भूमिका अहम मानी जाती है।

🆚 मुकाबले में मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष

हालांकि, इस सीट की वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया भी कोई कम नहीं हैं। भाजपा नेता प्रमोद तोलिया की पत्नी बेला का राजनीतिक आधार मजबूत है और उन्हें सत्ता में रहते हुए क्षेत्र के कामकाज का अनुभव भी है। माना जा रहा है कि प्रमोद तोलिया अपने राजनीतिक अनुभव के बूते इस सीट को दोबारा जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।

🧩 अंदरूनी घमासान या संगठनात्मक रणनीति?

इस सियासी संघर्ष को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि क्या पार्टी के भीतर कोई समझौता कराया जाएगा या दोनों दिग्गजों को आमने-सामने ही मैदान में उतरने दिया जाएगा? फिलहाल जिस तरह से छवि कांडपाल बोरा ने आक्रामक प्रचार शुरू कर दिया है, उससे यह साफ झलकता है कि वो पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। वहीं, बेला तोलिया भी अपनी पकड़ को कमजोर नहीं होने देना चाहतीं।

⏳ आगे क्या होगा?

नामांकन से लेकर नाम वापसी और मतदान तक अभी काफी समय बचा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस हाई प्रोफाइल सीट पर अंततः क्या फैसला लेती है – सीधी टक्कर या संगठनात्मक संतुलन?
एक बात तय है कि आने वाले दिनों में हल्द्वानी की यह सीट केवल पंचायत चुनाव की नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीतियों और प्रतिष्ठा की भी परीक्षा बनने जा रही है।

 


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण