पहाड़ को तबाह करने वालों ने सब मैनेज कर दिया, डोब ल्वेशाल में 200 से ज्यादा बांज के पेड़ काट डाले।
उत्तराखंड में यूं तो वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से वन संपदा को ठिकाने लगाने का खेल पुराना है। लेकिन बीते कुछ समय से माफिया के मंसूबों को गजब के पंख लगे हैं।
सशक्त भू कानून के लागू होने का अभी उत्तराखंड के लोगों को इंतजार है लेकिन इस बीच पहाड़ को तबाह करने वालों का खेल बदस्तूर जारी है। वैसे भी जिन लोगों के लिए पहाड़ सिर्फ और सिर्फ अय्याशी और नोट कमाई का जरिया हो, वो वन संपदा को ठिकाने लगाने में कहां पीछे रहेंगे। खासकर कुमाऊं में कंस्ट्रक्शन माफिया, वन विभाग, प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से वन संपदा को रातों रात काटने का खेल जोरों से चल रहा है। नैनीताल जिले के पर्वतीय इलाके भी माफिया और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत का शिकार हैं। एक दो नहीं सैकड़ों के सैकड़ों हरे भरे पेड़ सिर्फ इसलिए ठिकाने लगाए जा रहे हैं कि वहां फ्लैट, होटल, होम स्टे बनाए जा सके।
आज एक बार फिर कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत के सामने भीमताल क्षेत्र में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों बाज के हरे भरे पेड़ काटने का मामला सामने आया। भीमताल क्षेत्र में निरीक्षण करते कुमाऊं आयुक्त, मुख्यमंत्री सचिव, अध्यक्ष जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण दीपक रावत।
सोचिए वन विभाग के कुमाऊं मुख्य वन संरक्षक से लेकर नैनीताल डीएफओ, रेंजर, फॉरेस्टर तक को भनक नहीं लगी। यानी जिस वन विभाग को गांव के किसी ग्रामीण के जंगल में घास और जलौनी लकड़ी लाने की खबर 5जी की स्पीड में मिलती है, उस वन विभाग को सैकड़ों बाज के पेड़ कटने की भनक तक नहीं लगी। सोचिए माफिया ने किस कदर मामले को मैनेज किया होगा। ऊपर से लेकर नीचे तक कितना पैसा “ईमानदार” जिम्मेदारों को खिलाया होगा।
यानी अभी भी वन विभाग के जिम्मेदारों का विश्वास उस कहावत पर डिगा हुआ है कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा। ये भी सच है कि जंगल में आम आदमी घुस भी नहीं सकता। इसलिए जो मर्जी करो और करवाओ। बेचारे बेजुबान जानवर, पक्षी और पेड़ थोड़ा ही कुछ बोलेंगे। यहां तो डीएफओ के दफ्तर के बाहर से चंदन के पेड़ कट जाते हैं, ये तो डोब ल्वेशाल का जंगल ही है।
दरअसल, कुमाऊं के जिलों में तैनात वन विभाग के जिम्मेदारों को भी पता है कि चाहे जितनी मर्जी उनकी मिलीभगत और कारनामों की पोल खुल जाए लेकिन किसी में इतनी ताकत नहीं जो उनका बाल भी बांका कर सके। वो जैसी ड्यूटी करते आए हैं वैसी ही करते रहेंगे।
मंगलवार को कुमाऊं आयुक्त, मुख्यमंत्री सचिव, अध्यक्ष जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण दीपक रावत ने डोब ल्वेशाल के समीप विकास प्राधिकरण के कार्यों और भीमताल स्थलीय निरीक्षण किया।
डोब ल्वेशाल फेस 1, 2 और 3 के स्थलीय निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने पार्किंग, पार्क आदि की समस्या बताई। साथ ही निरीक्षण के दौरान कुमाऊं आयुक्त को कई खामियां मिली।
जिस पर आयुक्त ने तहसीलदार, वन विभाग और प्राधिकरण के अधिकारियों को समय समय निरीक्षण कर और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। बताया कि प्राधिकरण से फेस 2 में 160 फ्लैट बन चुके हैं। लेकिन एसटीपी का प्रावधान और पर्यावरण नियम के विरुद्ध है। साथ ही क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा पहले चालानी कार्रवाई की गयी थी, लेकिन फिर भी बिल्डर की सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने सब मैनेज कर दिया।
नक़्शे के अवलोकन के दौरान आयुक्त ने कहा कि 65 मीटर से कम में निर्माण त्रुटि या नक्शा बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाही की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि बिना अनुमति के अवैध तरीके से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है जिस पर उन्होंने पटवारी को तीन दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट देने की बात कही।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इलाके में करीब 200 से अधिक बांज और अन्य पेड़ काट दिए गए हैं। जिस पर आयुक्त दीपक रावत ने वन विभाग के अधिकारियों को जांच के आदेश दिए।
सोचिए जो पेड़ कट गए वो अब वापस नहीं लौटेंगे और कार्रवाई के नाम पर माफिया पर सिवाय जुर्माने के कुछ होगा नहीं। और जुर्माना भरने में माफिया को कोई दिक्कत भी नहीं। यानी जुर्माना भरो और पहाड़ को तहस नहस करने का खेल जारी रखो।
सबसे बड़ी बात यह है कि वन संपदा और नियमों को ताक पर रखने के इस मामले के सामने आने के बाद एक भी सरकारी उच्च पदस्थ पर कार्रवाई नहीं होगी, ये भी तय है। यही वजह है कि आज उत्तराखंड में गांव का प्रधान और छुटभइया नेता भी डंके की चोट में पहाड़ को नीलाम करने का दम भर रहा है।
लोगों ने आयुक्त को बताया कि नक़्शे के अनुसार पार्क की भूमि नक़्शा पहले सिने कलाकार चंद्रचूड़ सिंह के नाम पर थी जो अब शिवम जिंदल को दे दी गयी है। साथ ही अवलोकन के दौरान उन्होंने पाया कि सभी फेज में बने करीब 15 से अधिक पार्क को अवैध तरीकों से बेचा जा चुका है।
जिस पर आयुक्त ने खरीद फरोख्त पर रोक लगाने के निर्देश और नियमों का पालन नहीं करने वालों पर 5 हजार आर्थिक दंड या चालानी कार्यवाही करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने नक्शा का बोर्ड लगाने और ठेकेदार का सत्यापन कराने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने वन विभाग की भूमि में अवैध तरीके से रह रहे लोगों का नियमानुसार चालान करने के निर्देश दिए।
इसके पश्चात कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने तल्लीताल स्थित कुमाऊं मंडल विकास निगम का निरीक्षण किया। केएमवीएन के अधिकारियों ने बताया कि गेस्ट हाउस से लगी हुई जमीन में कुछ लोगों की ओर से निर्माण कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त भूमि पर केएमवीएन की भूमि भी लगी हुई है। साथ ही कहा कि एक बिल्डर की ओर से केएमवीएन का गेट भी नहीं लगने दिया जा रहा है।
कमिश्नर ने एसडीएम से केएमवीएन के अधिकारियों के साथ जमीन की एक संयुक्त जांच करने को कहा। साथ ही कहा कि उक्त भूमि पर अगर बाहरी व्यक्ति की ओर से कब्जा किया गया है तो उसको नोटिस भेजने को कहा और प्राधिकरण से मामले की जांच कर कमियां मिलने पर ऐसे लोगों के नक्शे निरस्त करने को कहा।
भीमताल स्थलीय भ्रमण के दौरान स्थानीय लोगों ने सीवर की समस्या बताई, जिस पर आयुक्त ने जल संस्थान के अधिकारियों को 15 दिन के भीतर समस्या का निस्तारण करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने झील में कूड़ा करकट और गंदगी पर सिचाई विभाग को समय समय पर साफ सफाई करने और जल संस्थान के अधिकारियों को 10 दिन के भीतर सीवर लाइन लीकेज को ठीक करने के निर्देश दिए।
इसके बाद उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भीमताल में साफ सफाई नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सफाई का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए।
सोचिए ये केवल भीमताल क्षेत्र की तस्वीर नहीं है जहां बिल्डर माफिया ने प्रकृति और नियमों को तार तार किया हो , बल्कि यह हाल कुमाऊं के हर उस पर्यटक स्थल की हालत है जहां आज फ्लैट, होटल, होम स्टे बनाए गए हैं। लेकिन कार्रवाई से पहले पहाड़ को तबाह करने वालों ने सब मैनेज कर दिया।