उत्तराखंड में 200 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी हैं करप्ट? उत्तराखंड में कर रहे हैं खुलेआम लूट-खसोट
वर्तमान में 28 प्रकरणों की चल रही है जांच, 29 हो चुके गिरफ्तार
देहरादून ।उत्तराखंड सरकार में 200 से अधिक विजिलेंस ने ऐसे 19 अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध शासन से जांच की अनुमति मांगी है, जिन पर आय से अधिक संपत्ति होने का अंदेशा है।
विजिलेंस की ओर से यह कवायद टोल नंबर-1064, शासन और शिकायती पत्रों के माध्यम से मिली शिकायतों की जांच के बाद की गई है। शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस इन अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति की जांच शुरू करेगी।
शासन की ओर से विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति
वर्तमान में विजिलेंस की ओर से आय से अधिक मामलों में 28 प्रकरणों की खुली जांच की जा रही है। इनमें तीन ट्रैप, 12 एफआइआर और 13 अन्य प्रकरणों की जांच शामिल हैं। इन प्रकरणों को लेकर शासन की ओर से विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति मिली हुई है। इनकी विवेचना डीएसपी और इंसपेक्टर स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है।
बागेश्वर जिले के कुछ अधिकारी भी विजिलेंस के रडार में
निदेशक विजिलेंस वी. मुरुगेशन ने बताया कि विजिलेंस की ओर से इस वर्ष आठ महीनों में प्रदेश भर में 22 ट्रैप किए गए। इसके तहत सरकारी विभागों के 29 अधिकारियों-कर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें चार राजपत्रित अधिकारी और 25 गैर-राजपत्रित अन्य अधिकारी शामिल हैं।
इस साल ये अधिकारी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार
25 अप्रैल: ऊधमसिंहनगर के खाद्य आपूर्ति विभाग के विपणन अधिकारी मोहन सिंह टोलिया को 50 हजार रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया।
22 मई : नैनीताल के लघु सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता को 50 हजार रुपये रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया।
25 जून : सहायक आयुक्त राज्य कर शशिकांत दूबे को 75 हजार रुपये रिश्वत के साथ पकड़ा गया।
दो जुलाई : ऊधमसिंहनगर के जिला आबकारी अधिकारी अशोक मिश्रा को 70 हजार रुपये रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया।
12 जुलाई: हरिद्वार के खंड शिक्षा अधिकारी अयाजुद्दीन को 10 हजार रुपये रिश्वत के साथ पकड़ा गया।