माँ बंगलामुखी का पवित्र स्थल: बगला क्षेत्र की अलौकिक महिमा

रमाकान्त पंत वरिष्ठ पत्रकार

देवभूमि उत्तराखंड की धरती पर स्थित बगला क्षेत्र माँ बंगलामुखी का पवित्र स्थल है, जो युगों-युगों से परम पूज्यनीय है। दस महाविद्याओं में से एक माँ बंगलामुखी का यह भूभाग पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित एक मनोहारी स्थल है, जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है।

*पौराणिक महत्व*
स्कंद पुराण के केदारखंड महात्म्य में बगला क्षेत्र की बड़ी विराट महिमा वर्णित की गई है। भगवान शिव माता पार्वती को इस क्षेत्र की महिमा का रहस्योद्घाटन करते हुए कहते हैं कि यह एक सुंदर क्षेत्र है, जो चार योजन लंबा और दो योजन चौड़ा है। इस पावन स्थल के बारे में भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि यह परम गोपनीय है और तुम्हारे कल्याणकारी प्रेम के वशीभूत होकर मैं तुम्हें हिमालय के इस दुर्लभ तीर्थ की महिमा बताता हूँ।

*बगला क्षेत्र की महिमा*
बगला क्षेत्र सभी कामनाओं का फल देनेवाला है। यहाँ सात रात निराहार रहकर बंगला देवी का मंत्र जप करने से अत्यन्त दुर्लभ आकाशचारिणी सिद्धि की प्राप्ति होती है। सभी यज्ञों में जो पुण्य प्राप्त होता है और सभी तीर्थों में जो फल प्राप्त होता है, वह फल बगला देवी के दर्शन से ही मिल जाता है।

*भगवान शिव का कथन*
भगवान शिव ने कहा है कि बंगला क्षेत्र के दक्षिण दिशा में ‘तीन सिर’ (त्रिशिरानामक) वाली देवी का वास है। उसके पास महासिंह नित्य बार-बार गरजता हुआ रहता है। साथ ही माँ बंगला के सानिध्य में काले शरीर और काले वस्त्रवाले तथा भयंकर स्वरुप वाली अनेक नारियाँ अदृश्य होकर यहाँ विचरण करती रहती हैं।

*सिद्धि प्राप्ति का स्थान*
यहाँ के बारे में महादेव जी महादेवी को एक गुप्त रहस्य बताते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति धैर्यवान, संयुक्त जप करनेवाला, शिवपरायण तथा परनिन्दा और परस्त्री से विमुख है, उसे यहाँ रहते हुए लेश मात्र भी भय नहीं होता है। वह निर्भयता से शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त कर लेता है।

*बगला क्षेत्र का स्थान*
माँ बगलामुखी का बगला क्षेत्र टिहरी गढ़वाल के घनसाली घुत्तू क्षेत्र में स्थित है, जो अपनी अलौकिक महिमा और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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