हत्या के मामले के मुख्य आरोपी को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश रितेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई

दोष ठहराए गये नरेंद्र उर्फ नंदा को 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई

काशीपुर। ऊधमसिंहनगर के पतरामपुर में 2017 में हुई हत्या के मामले के मुख्य आरोपी नरेंद्र उर्फ नंदा को दोषी मानते हुए प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश रितेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोष ठहराए गये नरेंद्र उर्फ नंदा को 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। धारा 4/25 में दो साल का कारावास और पांच हजार का अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड अदा न करने पर एक महीने का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। न्यायालय ने एक हत्यारोपी बबलू को दोष मुक्त करार दिया है।
पतरामपुर निवासी राम सिंह ने 19 मई 2017 को जसपुर कोतवाली में रिपोर्ट दी कि वह और उसका बेटा राजपाल सिंह उर्फ राजू 18 मई की रात करीब साढ़े आठ बजे पौत्र बृजेश के घर के बाहर खड़े होकर बातें कर रहे थें। बाइक पर नरेंद्र उर्फ नंदा पुत्र गनेशा सिंह, बबलू व त्रिभान उर्फ सुनील पुत्रगण पोखराज वहां आए। तीनों उसके बेटे राजपाल से गाली गलौच करते हुए उसे पीटने लगे। शोर सुनकर गांव के लोगों ने बीच-बचाव कर उनको बचाया।उसके बाद राजपाल जैसे ही चाचा रमेश के घर के सामने पहुंचा। तीनों आरोपियों ने राजपाल को फिर घेर लिया। बबलू व त्रिभान ने राजपाल को पकड़ लिया जबकि नरेंद्र ने चाकू से हमला कर राजपाल को गंभीर रूप से घायल कर दिया। हमलावर उसे मरणासन्न छोड़कर भाग गए। जाते जाते आरोपी बाइक भी छोड़ गए। आसपास मौजूद लोगों ने राजपाल को जसपुर के सरकारी अस्पताल पहुंचाया। वहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया। जांच के बाद विवेचना अधिकारी तत्कालीन कोतवाल अबुल कलाम ने आरोपियों नरेंद्र उर्फ नंदा और बबलू के खिलाफ हत्या सहित दूसरी धाराओं में कोर्ट में चार्जशीट पेश की। त्रिभान उर्फ सुनील का नाम विवेचना के दौरान निकाल दिया। केस का ट्रायल प्रथम एडीजे कोर्ट में हुआ। अभियोजन के 16 गवाह पेश हुए। अभियोजन की पैरवी एडीजीसी रतन सिंह कांबोज ने की।

गणेश मेवाड़ी

संपादक - मानस दर्पण
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