बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ पर संवेदनशीलता की अलख

किशोरियों ने बताए 12 संवेदनशील स्थान, रखे सुरक्षा सुधार के सुझाव
रामनगर (नैनीताल), 16 अक्तूबर
राजकीय इंटर कॉलेज मोहन में गुरुवार को “बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ” योजना के तहत एक विशेष संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती किरण लता जोशी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, हल्द्वानी शहर द्वारा किया गया।
कार्यशाला की शुरुआत में बालिकाओं को बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने बताया कि “बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ” केवल शिक्षा या सशक्तिकरण तक सीमित नहीं, बल्कि बेटियों की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और समान अधिकार सुनिश्चित करने का एक समग्र प्रयास है।
इसके बाद बाल विवाह जैसे गंभीर सामाजिक विषय पर खुली चर्चा हुई। वक्ताओं ने बताया कि बाल विवाह न केवल बालिकाओं के अधिकारों का हनन है, बल्कि उनके भविष्य, स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में बालिकाओं के साथ संवाद हुआ। इस दौरान छात्राओं ने विद्यालय आने-जाने के दौरान आने वाली समस्याएँ साझा कीं और 12 ऐसे स्थान चिन्हित किए जहाँ वे असुरक्षित महसूस करती हैं।
बालिकाओं ने इन स्थानों पर सुधार के लिए कई व्यावहारिक सुझाव भी दिए—
जैसे सड़क प्रकाश व्यवस्था में सुधार, पुलिस गश्त बढ़ाना तथा स्थानीय समुदाय की निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाना।
कार्यक्रम में श्रीमती तुलसी आर्य, सुपरवाइजर, बाल विकास परियोजना कार्यालय हल्द्वानी शहर, तथा श्रीमती योग्यता बहुगुणा, सामाजिक कार्यकर्ता, बाल संरक्षण इकाई, विशेष रूप से उपस्थित रहीं। उन्होंने बालिकाओं को आत्मरक्षा, जागरूकता और सामाजिक सहभागिता के महत्व पर प्रेरक संदेश दिए।
इस अवसर पर उपस्थित छात्राओं ने संकल्प लिया कि वे स्वयं सुरक्षित रहेंगी और अन्य बालिकाओं को भी सुरक्षा एवं जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगी।
🟣 विचार:
ऐसी कार्यशालाएँ समाज में बेटियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होती हैं।
जब बेटियाँ बोलती हैं, समाज बदलता है।

