सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे के सतत प्रयासों से टूटी प्रशासनिक चुप्पी — अब माताओं को नहीं भटकना पड़ेगा

अल्मोड़ा। लंबे समय से ठप पड़ी स्वास्थ्य सेवा को फिर से शुरू करवाकर सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि निरंतर प्रयास और जनदबाव प्रशासनिक जड़ता को भी तोड़ सकता है। अल्मोड़ा जिला महिला चिकित्सालय में एक वर्ष से अधिक समय से बंद ऑपरेशन थिएटर सेवा को अब पुनः शुरू कर दिया गया है, जिससे क्षेत्र की हजारों महिलाओं को राहत मिलेगी।

गौरतलब है कि अस्पताल परिसर में पुनर्निर्माण कार्य के चलते ऑपरेशन थिएटर की सेवाएं पिछले कई महीनों से बंद थीं। इससे गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, और उन्हें मजबूरन निजी अस्पतालों या दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता था, जहां इलाज की लागत और जोखिम दोनों ही अधिक थे।

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस समस्या की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता साह ने भले ही अस्थायी ऑपरेशन थिएटर शुरू करने के निर्देश दिए थे, परंतु वे निर्देश फाइलों में ही दबकर रह गए।

संजय पाण्डे ने संभाला मोर्चा

इसी बिंदु पर सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने सक्रिय हस्तक्षेप किया। उन्होंने इस मुद्दे को केवल एक प्रशासनिक चूक न मानते हुए इसे “सैकड़ों माताओं के जीवन और सम्मान से जुड़ा गंभीर विषय” बताया। उन्होंने सीधे जिलाधिकारी से संपर्क कर स्थिति की गंभीरता पर ध्यान आकर्षित किया और सूचना का अधिकार (RTI) के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही भी तय करवाई।

लगातार दबाव, मीडिया की सक्रियता और जनभागीदारी के कारण अब जाकर प्रशासन ने कदम उठाया है और ऑपरेशन थिएटर की सेवा को पुनः बहाल किया गया है।

पहले भी दिलाई राहत

यह पहली बार नहीं है जब संजय पाण्डे के प्रयासों से जनता को राहत मिली हो। इससे पूर्व भी उनके प्रयासों से—

महिला चिकित्सालय में वर्षों से बंद अल्ट्रासाउंड सेवा को बहाल किया गया।

आधुनिक सिटी स्कैन मशीन की स्थापना करवाई गई, जो अब 24 घंटे चालू है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, जो लंबे समय से एक अधूरी मांग थी, उसे शुरू करवाया गया।

ऑडियोमैट्री टेस्ट की सुविधा को पुनः शुरू करवा कर सैकड़ों मरीजों को लाभ पहुंचाया।

अब भी अधूरी हैं कुछ सेवाएं

हालांकि, संजय पाण्डे ने स्पष्ट किया कि अब भी कुछ स्वास्थ्य सेवाएं अधूरी हैं। रूट केनाल और अन्य दंत चिकित्सा सेवाएं अब तक शुरू नहीं हो सकी हैं, जबकि इसके लिए डॉक्टर की नियुक्ति भी की जा चुकी है। उन्होंने इस देरी को सीधे तौर पर मरीजों की तकलीफ से जोड़ा।

“यह लड़ाई अब भी जारी है”

संजय पाण्डे ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी पद या प्रशंसा की चाह नहीं है, बल्कि जनहित में सुविधाओं की बहाली और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ही उनकी प्राथमिकता है। जब तक जिला अस्पताल समग्र स्वास्थ्य सुविधाओं से पूर्ण रूप से लैस नहीं हो जाता, तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

यह पहल सिर्फ चिकित्सा सेवा की बहाली नहीं, बल्कि एक उदाहरण है कि जब एक नागरिक ठान ले, तो व्यवस्था को भी झुकना पड़ता है।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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