“धाकड़ धामी” के राज में गड्ढों में तब्दील सड़कें, लोक निर्माण विभाग बना तमाशबीन!

हल्द्वानी (बरेली रोड): उत्तराखंड में सरकार विकास के दावे कर रही है लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। “धाकड़ धामी” के राज में लोक निर्माण विभाग (PWD) का ऐसा हाल है कि लगता है विभाग किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है।

बरेली रोड स्थित एवरग्रीन स्कूल से धनपुर लिंक मार्ग तक जाने वाला रास्ता इस वक्त मौत का रास्ता बन गया है। इस मार्ग पर हर दिन हज़ारों स्कूली बच्चे जान हथेली पर लेकर सफर कर रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी अपने एसी कमरों से बाहर झांकने तक को तैयार नहीं हैं।

जिम्मेदार कौन? मगर जवाबदेह कोई नहीं!

अधिशासी अभियंता प्रत्यूष सिंह

सहायक अभियंता हेमंत कुमार शाह

अपर सहायक अभियंता मोहन सिंह खम्पा

इन अधिकारियों को कई बार मौखिक और लिखित रूप से शिकायतें दी जा चुकी हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। सड़क के गड्ढों में मरहम लगाने के बजाय बड़े-बड़े पत्थर डाल दिए गए, जिससे दुर्घटना की आशंका और बढ़ गई है।

कीचड़ उड़ाते नेता, गाड़ी से गुजरते अफसर

इस रास्ते से गुजरने वाले स्कूली बच्चों के कपड़े बड़ी-बड़ी गाड़ियों की रफ्तार से उड़ते कीचड़ में सने रहते हैं। नेताओं को जब वोट मांगना होता है, तो वो चमचमाती गाड़ियों में आते हैं, लेकिन जनता की परेशानी उन्हें दिखाई नहीं देती।

लोक निर्माण विभाग के अफसर कभी मौके पर नजर नहीं आए। जिलाधिकारी को झूठी रिपोर्ट भेजकर विभाग अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहा है। जनता पूछ रही है—क्या विभाग को किसी बच्चे के घायल होने या जान जाने के बाद ही नींद खुलेगी?

गड्ढों में विकास या विकास में गड्ढे?

सरकार चाहे जितनी भी योजनाओं की बात कर ले, जब तक जमीनी स्तर पर अधिकारी जवाबदेह नहीं बनेंगे, तब तक जनता इसी तरह परेशान होती रहेगी।

> क्या ये है “धाकड़ धामी” का नया उत्तराखंड? जहां विकास बड़ी गाड़ियों में बैठकर निकल जाता है और आम जनता गड्ढों में गिरती रहती है?

जनहित में सवाल उठाना ज़रूरी है। क्या लोक निर्माण विभाग के ये अफसर अपने बच्चों को ऐसे रास्तों से स्कूल भेज सकते हैं? अगर नहीं, तो फिर जनता के बच्चों के साथ ये सौतेला व्यवहार क्यों?


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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