निर्वाचन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, नियमविरुद्ध फैसलों की जांच हो – नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य”

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में निर्वाचन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों में निर्वाचन अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है और उन्हें न सिर्फ निष्पक्ष बल्कि कानून की गहरी समझ रखने वाला होना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखण्ड के कई जिलों में अनुभवहीन व कनिष्ठ अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो या तो प्रशासनिक प्रशिक्षण से वंचित हैं या फिर सत्ता के दबाव में नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
आर्य ने तीन मामलों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा:
- उधम सिंह नगर के काशीपुर ब्लॉक में अनुसूचित जाति की महिला प्रत्याशी श्रीमती नर्मता का नामांकन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उन्होंने मायके पक्ष का जाति प्रमाण पत्र लगाया, जबकि कानूनन यह वैध होता है।
- रुद्रप्रयाग में 27 लाख की सरकारी देनदारी वाले एक प्रत्याशी का नामांकन स्वीकार कर लिया गया, जबकि मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद स्टे नहीं मिला था।
- टिहरी जिले के अखोड़ी वार्ड में 7 प्रत्याशियों के नामांकन नियमविरुद्ध तरीके से खारिज कर दिए गए।
उन्होंने इन फैसलों को ‘शक्तिमान प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास’ करार देते हुए मांग की कि इन मामलों की तत्काल जांच की जाए और दोषी अधिकारियों को चुनावी जिम्मेदारियों से हटाया जाए।
आर्य ने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए ऐसे मामलों में संज्ञान लिया जाए और वरिष्ठ प्रशिक्षित अधिकारियों की तैनाती की जाए।
उन्होंने कहा, “मैं यह सुझाव पूरी निष्ठा से निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए दे रहा हूं और अपेक्षा करता हूं कि इस पर शीघ्र निर्णय लेकर मुझे भी अवगत कराया जाए।”

