पक्षाघात: एक्यूप्रेशर के द्वारा उपचार

एक्यूप्रेशर द्वारा उपचार
पक्षाघात होने पर एकदम डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए समय पर उचित डाक्टरी सहायता मिल जाने से यह रोग प्रारंभिक अवस्था में ही ठीक हो जाता है. अगर तुरंत डाक्टरी सहायता न मिल सके तो पैरों तथा हाथों के एवं मस्तिष्क के पॉइंट नंबर 353 तथा स्नायु संस्थान के पॉइंट नंबर 354 तथा 355 के प्रतिबिंब केदो पर प्रेशर देना चाहिए. इसके अतिरिक्त पैरों तथा हाथों के अंगूठे के साथ-साथ ऊपर तथा नीचे पॉइंट नंबर 132 133 134 135 136 व 137 में भी प्रेशर दें. वैसे रोग निवारण के लिए नियमित रूप से इन केदो पर प्रेशर देना चाहिए जितनी जल्दी हो सके डाक्टरी सहायता ले लेनी चाहिए उसके बाद दवाइयां के साथ-साथ एक्यूप्रेशर भी जारी रख सकते हैं. अगर अटैक के बाद शुरू के दिनों में ही एक्यूप्रेशर द्वारा इलाज जारी किया जाए तो पक्षाघात बहुत शीघ्र दूर हो जाता है. अनेक ऐसे रोगियों का इलाज करते समय यह देखा की चाल एवं हाथ की गति तथा आवाज एक साथ ही ठीक हो जाते हैं पर आधिकारिक रोगियों की पहले चाल ठीक होती है उसके बाद बाजू तथा हाथ की गति ठीक होती है और बाद में विकृत आवाज ठीक होती है. यह रोग प्राय अधिक धूम्रपान, शराब के अधिक सेवन, मधुमेह, उच्च रक्त चाप एवं कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर होने के कारण होता है. पक्षाघात के रोगी को सदैव उत्साहित करना चाहिए क्योंकि उसकी आंतरिक शक्ति रोग दूर करने में सबसे अधिक सहायक होती है.

गणेश मेवाड़ी

संपादक - मानस दर्पण
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