2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर कांड की बरसी को राज्य आंदोलनकारीयो ने काला दिवस के रूप में मनाया।
2 अक्टूबर 1994 के दिन पृथक राज्य की मांग के लिए प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण दिल्ली जा रहे थे।जब प्रदर्शनकारीयो की गाड़िया मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे में पहुंची तो तिराहे पर गाड़ियों को रुकवा दिया गया और पुलिस द्वारा तलाशी शुरू हो गयी साथ ही प्रदर्शनकारीयो का उत्पीड़न किया गया।पुलिस पीएसी द्वारा कई प्रदर्शनकारी महिलाओ का बलात्कार किया। जब प्रदर्शनकारीयो द्वारा विरोध किया गया तो पुलिस ने बड़ी बेरहमी से प्रदर्शनकारीयो पर गोलियां बरसा दी। दो अक्टूबर को हुई इस घटना को पुलिस की सबसे क्रूर घटना माना जाता है।मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे पर शहीद होने वाले लोग जिन्होंने उत्तराखंड राज्य में अपना सर्वोच्च बलिदान दियारामपुर तिराहे के शहीद पुलिस पीएसी की बब्बरता के हुए थेशिकार।2 अक्टूबर 1994 को अलग उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड में अमर शहीदों को शत-शत नमन।1,रविंद्र रावत (पोलू): नेहरू कालोनी निवासी कुंदन सिंह रावत और मंगली रावत का 22 वर्षीय इकलौता पुत्र पोलू बीएससी का छात्र था। उत्तराखंड आंदोलन की गतिविधियों में वह अग्रपंक्ति में रहता था।2,गिरीश भद्रीः बंजारावाला निवासी वाचस्पति भद्री और सुशीला भद्री का 21 वर्षीय पुत्र गिरीश पढ़ाई के साथ-साथ शेयर कारोबारी के साथ भी कार्य कर रहा था। दून में होने वाले प्रदर्शन में भागीदारी रहती थी।3,राजेश लखेड़ा: अजबपुर निवासी दर्शनलाल लखेड़ा और सरोज लखेड़ा के 22 वर्षीय पुत्र राजेश ग्रेजुएशन का छात्र था। उसका परिवार अब कारगी में रह रहा है।4,सतेंद्र चौहानः सेलाकुई निवासी सतेंद्र रामपुर तिराहा कांड के वक्त महज 16 वर्ष का और 10वीं का छात्र था। इस सबसे कम उम्र के शहीद के पिता का निधन कई साल पहले हो गया था।5,राजेश नेगीः भानियावाला (देहरादून) के अदूरवाला गांव निवासी 20 वर्षीय राजेश के शव का आज तक पता नहीं लग पाया। गोलीकांड के बाद पुलिस ने उसके शव को ठिकाने लगा दिया था।6,सूर्य प्रकाश थपलियालः चौदहबीघा (ऋषिकेश) निवासी चिंतामणि थपलियाल और सत्यभामा का पुत्र सूर्य प्रकाश ऋषिकेश के राजकीय स्नातकोत्तर कालेज में बीएससी अंतिम वर्ष का छात्र था। चौदहबीघा का नाम सूर्यग्राम रखा गया।7,अशोक कुमार कैशिवः रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ (तब चमोली जनपद) निवासी शिव प्रसाद और धूमा देवी के 20 वर्षीय पुत्र अशोक को रामपुर तिराहे पर गोली लगी थी। बीएससी द्वितीय वर्ष के इस छात्र की 10 नवंबर 1994 को पीजीआई चंडीगढ़ में मृत्यु हो गई थी। इन शहीदों को अभी तक न्याय नहीं मिला, रामपुर तिराहे पर उत्तराखंड की महिलाओं के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को जन्म दिया गया।विरोध दर्ज करने के उपरांत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भी प्रेषित किया
1,उत्तराखंड में सशक्त लोकायुक्त का गठन,रोजगार , स्वास्थ्य,शिक्षा, जल,जंगल, जमीन, महिलाओं की सुरक्षा, बिधर्मीयों से उत्तराखंड की सुरक्षा, सशक्त भू कानून, मूल निवास, 70% मुल निवासियों को सरकारी एवं गैर-सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता।
2, खुरपिया फार्म में 3500 एकड़ में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी मैं राज्य आंदोलनकारीयो को प्राथमिकता के आधार पर भूमि आवंटन । स्मार्ट सिटी के नाम पर उजड़ गए 40 साल पुराने व्यवसाईयों, आवासियों जो कि उत्तराखंड निवासी है ,पुनर्स्थापित किया जाए। खुरपिया फार्म में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी में विस्थापित किया जाए।
3,कूट रचित अभिलेखो के माध्यम से सरकारी भूमि के बड़े भूखंडों, भवनों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अतिक्रमणकारियो से मुक्त किया जाए,
4,उत्तराखंड के सभी मूल निवासियों को जिसमे सभी जाति ,धर्म, समुदाय को एक समान आर्थिक आधार पर हो आरक्षण की व्यवस्था। अपने व्यक्तिगत राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए दिए जाने वाले प्रस्तावित आरक्षण का उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी विरोध दर्ज करते हैं। उपरोक्त संदर्भ में बड़े आंदोलन की चेतावनी।विरोध तर्ज करने वालों में मुख्य रूप से अवतार सिंह बिष्ट,अनिल जोशी, उत्तराखंड राज्य आंदोलन के पुरोधा स्वर्गीय श्री डीडी मिश्रा की पुत्री रेखा जोशी ने भी प्रतिभागी किया उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये।कांति भागुनी, पीसी शर्मा, एसके नैयर,हरीश पाठक,रेखा जोशी,जानकी जोशी, देवकी बिष्ट, चंद्रा पंत, मनोहर चंद लोहानी, हरिश्चंद्र जोशी, संजीव जोशी, सुभाष मिश्रा, नरेंद्र तिवारी,दिनेश भट्ट,ममता पांडे आदि उपस्थित थे।वही गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री के जन्म उत्सव के अवसर पर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी के द्वारा जिसमें मुख्य रूप से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मीना शर्मा, अनिल शर्मा, जिला अध्यक्ष हिमांशु गावा, मोहन खेड़ा, आदि कांग्रेस जनों ने माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।