अब ‘प्रधान पति’ की नहीं चलेगी दबंगई! बीवी के नाम पर पंचायत चलाने पर होगी जेल, केंद्र का बड़ा फैसला

महिला ग्राम प्रधानों को मिलेगा पूरा अधिकार, घूंघट के पीछे से नहीं चलेगी पंचायत

नई दिल्ली। पंचायतों में महिलाओं को नाममात्र प्रधान बनाकर उनके पति या परिवार के पुरुष सदस्य सत्ता संभालते रहे हैं, लेकिन अब यह प्रथा इतिहास बनने जा रही है। केंद्र सरकार ने ‘प्रधान पति प्रथा’ पर सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है। अब यदि किसी पंचायत में महिला प्रधान के स्थान पर उसका पति, देवर, भाई या कोई अन्य पुरुष रिश्तेदार काम करता हुआ पाया गया, तो उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

केंद्र ने बनाई सख्त सजा की रूपरेखा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने महिला प्रतिनिधियों को वास्तविक सत्ता देने के लिए केंद्र सरकार को कठोर सिफारिशें भेजी हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव है कि महिला प्रधान के बदले पुरुष प्रतिनिधित्व करने पर सीधे सजा का प्रावधान किया जाए। इस पर अमल करते हुए पंचायती राज मंत्रालय जल्द ही एक सख्त कानून लाने की तैयारी में है।

अब महिला प्रधानों को ही संभालनी होगी पंचायत

सरकार का साफ संदेश है कि महिला ग्राम प्रधानों को अब खुद अपने पद की जिम्मेदारी निभानी होगी। कोई भी पुरुष सदस्य पंचायत की बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकता, न ही किसी तरह का निर्णय ले सकता है। यदि कोई महिला प्रधान अपने स्थान पर पति या परिवार के किसी सदस्य को भेजती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है। दोषी पाए जाने पर न सिर्फ प्रधान की कुर्सी छीनी जा सकती है, बल्कि कानूनी कार्यवाही के तहत जेल भेजा जा सकता है।

पंचायत चुनाव से पहले कड़ा संदेश

गौरतलब है कि 24 जुलाई और 28 जुलाई को कई राज्यों में पंचायत चुनाव होने हैं। ऐसे में यह फैसला एक बड़ा संदेश है कि अब महिलाएं सिर्फ नाम की प्रधान नहीं होंगी, बल्कि असल नेतृत्व करेंगी। सरकार का उद्देश्य है कि महिलाओं को राजनीतिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिले और ग्रामीण विकास में उनकी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित हो।

50% आरक्षण का होगा सही मायने में लाभ

पंचायती राज व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया गया है, लेकिन अब तक इसका वास्तविक लाभ उन्हें नहीं मिल रहा था। पुरुष रिश्तेदार महिलाओं की सीट पर कब्जा जमाए बैठे थे। अब इस नए कानून के बाद यह स्थिति बदलेगी और महिला सशक्तिकरण को असली उड़ान मिलेगी।
सरकार का संदेश साफ:

> “घूंघट के पीछे से नहीं, अब पंचायत की गद्दी पर खुद महिलाएं बैठेंगी। प्रधान पति युग समाप्त!”


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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