चर्चित अफसर पर बड़ी कार्रवाई: आदेश की अवहेलना पड़ी भारी, अधीक्षण अभियंता आरपी सिंह सस्पेंड

मूल विभाग में तैनाती से इनकार पर शासन ने दिखाई सख्ती, भ्रष्टाचार के आरोपों से भी घिरे हैं अफसर
देहरादून। उत्तराखंड शासन ने एक बार फिर साफ संदेश दे दिया है कि सरकारी नियमों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं होगी। चर्चाओं और विवादों में लंबे समय से घिरे रहे अधीक्षण अभियंता आरपी सिंह को शासन ने निलंबित कर दिया है।
आरपी सिंह पर मूल विभाग में तैनाती नहीं लेने का आरोप है। शासन के कई निर्देशों के बावजूद जब उन्होंने सिंचाई विभाग में योगदान नहीं दिया, तो विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। निलंबन का आदेश सिंचाई विभाग के सचिव युगल किशोर पंत द्वारा जारी किया गया।
क्या है पूरा मामला?
आरपी सिंह ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण (RWD) में लंबे समय तक मुख्य अभियंता के पद पर तैनात थे। वहां से उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया और मूल विभाग सिंचाई में तैनाती के आदेश जारी हुए। लेकिन आदेशों की बार-बार अवहेलना के चलते आरपी सिंह ने योगदान नहीं दिया, जिससे विभाग ने कड़ी आपत्ति दर्ज की।
शासन स्तर पर काफी समय से इस मामले की फाइल लंबित थी, जिसे अब मंजूरी मिलने के बाद आखिरकार सस्पेंशन की कार्रवाई की गई।
पहले भी रहे हैं विवादों में
आरपी सिंह का नाम टेंडर गड़बड़ी, कमीशनखोरी और नियमों के उल्लंघन जैसे आरोपों में आता रहा है।
उन पर विधायकों से दुर्व्यवहार के आरोप भी लगे, जिसकी गूंज विधानसभा तक पहुंची।
कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने इस मुद्दे को सदन में जोरशोर से उठाया था, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लिया।
सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नाराजगी के बाद आरपी सिंह को मुख्य अभियंता पद से हटाया गया था।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भी उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे।
नोटिस के बाद भी नहीं सुधरे
शासन द्वारा उन्हें पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उसके बाद भी आदेशों की अनदेखी की गई। ग्रामीण विकास विभाग पहले ही उन्हें कार्यमुक्त कर चुका था, इसके बावजूद वे सिंचाई विभाग में योगदान नहीं कर रहे थे।
आगे क्या?
फिलहाल आरपी सिंह को प्रतिवेदन देने का अवसर दिया जाएगा, लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार उनके खिलाफ मामले इतने स्पष्ट हैं कि बहाली की संभावना बेहद कम नजर आ रही है।
सख्त संदेश
उत्तराखंड शासन की यह कार्रवाई अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और आदेशों की अवहेलना पर जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। यह कदम बाकी अधिकारियों के लिए भी एक स्पष्ट चेतावनी है कि अब लापरवाही और मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

