कुमाऊँ विश्वविद्यालय – इतिहास एवं विकास” पुस्तक का राज्यपाल ने किया लोकार्पण: शैक्षिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल

राजभवन, नैनीताल से विशेष संवाददाता, राज्यपाल एवं कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने आज राजभवन, नैनीताल में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभागाध्यक्ष एवं शिक्षा संकायाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी द्वारा रचित पुस्तक “कुमाऊँ विश्वविद्यालय – इतिहास एवं विकास” का विधिवत लोकार्पण किया। इस गरिमामयी अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत सहित कई गणमान्य शिक्षाविद उपस्थित रहे।

राज्यपाल ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा —

“पुस्तकें किसी भी संस्था की आत्मा होती हैं। ये केवल घटनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि विचारों, मूल्यों एवं भावनाओं की जीवंत ऊर्जा होती हैं, जो वर्तमान को दिशा और भविष्य को प्रकाश देती हैं। कुमाऊँ विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक यात्रा को शैक्षिक दस्तावेज के रूप में संजोने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।”

इस अवसर पर सिमट के डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने भी पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा —

“यह कृति कुमाऊँ विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर विकास यात्रा का एक ऐतिहासिक, तथ्यपरक एवं प्रेरणादायी संकलन है। यह न केवल उत्तराखंड के, बल्कि पूरे देश के शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगी। इस उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रो. जोशी को हार्दिक बधाई।”

पुस्तक विमोचन के उपरांत विश्वविद्यालय एवं शैक्षिक समुदाय से अनेक गणमान्य व्यक्तित्वों ने *प्रो. अतुल जोशी* को शुभकामनाएँ और बधाई प्रेषित की।
इनमें प्रमुख रूप से —
प्रो. आर. एस. पाठनी (सेवानिवृत्त), डॉ. अशोक उप्रेती, डॉ. भानु प्रताप सिंह,  डॉ. रोहित कंपाल, डॉ. नीरज तिवारी, डॉ. तनुजा मेलकानी, श्री दिनेश जायसवाल, डॉ. नवल किशोर लोहानी, डॉ. वीरपाल सिंह संधू तथा तरुण कुमार सम्मिलित हैं।

सभी ने एक स्वर में इसे विश्वविद्यालय की शैक्षिक यात्रा का “दस्तावेजी दर्पण” बताते हुए कहा कि *प्रो. अतुल जोशी* की लेखनी ने विश्वविद्यालय की बौद्धिक गरिमा को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं।
सहकर्मियों और शिक्षाविदों ने इस उपलब्धि को विश्वविद्यालय परिवार के लिए गर्व का क्षण बताया और प्रो. जोशी के निरंतर प्रगति की कामना की।

यह कृति कुमाऊँ विश्वविद्यालय की अकादमिक परंपराओं, संघर्षों एवं उपलब्धियों का संगठित वर्णन करते हुए शैक्षिक शोध के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध होने जा रही है।


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गणेश मेवाड़ी

संपादक - मानस दर्पण