भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले बिरजू मयाल की गिरफ्तारी, क्या यह सच बोलने की सजा है?

रामनगर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाले चर्चित ब्लॉगर बिरजू मयाल को रामनगर पुलिस ने 27 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया। बिरजू मयाल, जो सोशल मीडिया के माध्यम से आए दिन नेताओं, अधिकारियों और पुलिस की कथित गड़बड़ियों को उजागर करता रहा है, अब खुद कानून के शिकंजे में है।

पुलिस का आरोप है कि बिरजू मयाल पर जान से मारने की धमकी, महिलाओं से अभद्रता और अवैध वसूली जैसे कई गंभीर आरोप हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आरोप एक सच बोलने वाले व्यक्ति को चुप कराने की रणनीति हैं?

बिरजू मयाल के समर्थकों का कहना है कि:

> “जो नेता और अधिकारी बरसों से भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई नहीं होती। लेकिन जैसे ही कोई आम नागरिक उनके खिलाफ बोलता है, उसे झूठे मुकदमों में फंसा दिया जाता है।”

तीन शिकायतें एक ही दिन, संयोग या साजिश?

27 जुलाई को एक ही दिन में तीन अलग-अलग लोगों द्वारा बिरजू मयाल पर गंभीर आरोपों की तहरीर दी गई। राकेश नैनवाल, दिनेश मेहरा और नीमा देवी द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायतों में धमकी, गाली-गलौज, जबरन वसूली और छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उसी दिन उन्हें रामपुर रोड से गिरफ्तार कर लिया।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि तीनों शिकायतें एक ही दिन दर्ज हुईं, जबकि एक घटना (नीमा देवी की शिकायत) 13 जुलाई की बताई गई है।
क्या यह कार्रवाई सुनियोजित थी?

क्या सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार उजागर करना अपराध है?

बिरजू मयाल ने कई बार अपने वीडियो और पोस्टों में  नेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों के भ्रष्टाचार के दस्तावेज़ सार्वजनिक किए थे। कई बार उनके आरोपों की जांच भी हुई, और कुछ मामलों में सच्चाई भी सामने आई।

अब पुलिस का कहना है कि वह “बिना तथ्यों के आरोप लगाकर लोगों से पैसे वसूलता था।”
अगर ऐसा था, तो सवाल उठता है – क्यों नहीं पहले उस पर कार्रवाई हुई? और अगर अब हो रही है, तो क्या उसका कारण उसकी बढ़ती लोकप्रियता और बेबाकी है?

आपराधिक इतिहास या प्रतिशोध की पटकथा?

बेशक बिरजू मयाल पर पहले से कुछ मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उनमें से कई मामलों में आज तक कोई ठोस सबूत या सजा सामने नहीं आई। क्या ये मुकदमे वास्तव में अपराधों का परिणाम हैं या फिर एक सिस्टम की प्रतिक्रिया, जो सच बोलने वालों को कुचलना चाहता है?

पुलिस की कार्रवाई या राजनीतिक दबाव?

रामनगर पुलिस की ओर से प्रेस नोट में बताया गया है कि एक विशेष टीम बनाकर उन्हें मंडी गेट के पास से गिरफ्तार किया गया।
समर्थकों का आरोप है कि पुलिस ने दबाव में आकर जल्दबाजी में यह कार्रवाई की है।

सवाल अब जनता के सामने है:
क्या बिरजू मयाल एक अपराधी हैं, या फिर एक ऐसा व्यक्ति जिसे सिस्टम से टकराने की कीमत चुकानी पड़ रही है?


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण