आज के युग में माता और पिता दोनों का काम करना और बहुत अधिक समय घर के बाहर रहना. ऐसे में कैसे करें अपने बच्चों की परवरिश ?
इस पर वरिष्ठ साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर गीतिका श्रीवास्तव का यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है
आज के युग में माता और पिता दोनों का काम करना और बहुत अधिक समय घर के बाहर रहना और बच्चे के लिए कम समय निकलना अब आम सी बात है पर ऐसे में बच्चे की परवरिश कैसे करे ? माता और पिता के लिए ये बात चिंता का विषय है ।हर माता और पिता चाहता है कि उनका बच्चा आगे चलकर एक अच्छा इंसान बन सके इसके लिए जरूरी है कि जो भी वक्त वो बच्चे को दे उसमें बच्चे की बेहतर परवरिश की ओर ध्यान दिया जाए,वैसे तो अलग-अलग बच्चों की परवरिश भी अलग-अलग तरीके से ही हो सकती है, क्योंकि हर बच्चे का मानसिक, शारीरिक , पारिवारिक, आर्थिक, संवेगात्मक स्तर एक जैसा नहीं होता, फिर भी आगे कुछ ऐसे सुझावों दिए हैं, जिस पर अमल करके आप अपने बच्चों को बेहतर रास्ता दिखा सकते हैं.
1. आपका बच्चा जो बनना चाहे, उसे वही बनने दें. बच्चे पर अपनी मर्जी कभी न थोपें. जीवन के प्रति आपका जो नजरिया है, उससे बच्चे को प्रभावित करने की कोशिश न करे. बच्चे को ठीक वही करने की जरूरत नहीं है, जो आपने अपने जीवन में किया हो , हो सकता है कि आपका बच्चा अपनी रुचि और समझ से चलकर जीवन में उस लक्ष्य तक चला जाए, जिसकी आपने कल्पना तक न की हो.
2. परिवार में बच्चे आने पर ज्यादातर लोग समझते हैं कि अब बच्चों को पढ़ाने का वक्त आ गया है, जबकि स्थिति दूसरी होती है यही माता और पिता के लिए भी सीखने का वक्त होता है. एक छोटा बच्चा जीवन के प्रति ज्यादा सकारात्मक नजरिया रखता है,यही वजह है कि वह ज्यादा खुश रहता है. इसलिए उससे सीखने की कोशिश करें।
3. बच्चा स्वाभाविक तौर पर अध्यात्म के निकट होता है. उसे जीवन में अध्यात्म और धर्म के प्रति सोच-समझ खुद विकसित करने दें. उस पर अपने पूर्वाग्रह न थोपे
4. बच्चा कई बार तरह तरह के लोगों और चीजों के संपर्क में आता है. इसमें मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी जैसी चीजें भी होती है. वह पास-पड़ोस के दोस्तों, स्कूल में टीचर और अन्य लोगों से प्रभावित होता है. अगर आप का नजरिया खुशनुमा होता है, व्यवहार बेहतर होता है, तो बच्चा सब कुछ छोड़कर आपको ही आदर्श मानेगा।
5. हमेशा खुश रहने की कोशिश करें. जब आप खुश होंगे, तो आपके बच्चे का नजरिया भी खुशमिजाज होगा. अगर आप चिंता, तनाव, भय, दुख, ईर्ष्या आदि के भाव से भरे होंगे, तो इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा. इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपका दिल प्रेम व करुणा से भरा होगा, तो आपका बच्चा भी बेहतर इंसान बन सकेगा।
6. बच्चे के साथ जो भी समय मिले उस समय में खूब बातें करे बच्चे की सुने ,उसके लक्ष्य को पूछे और उस लक्ष्य को पूरा करने में उनका साथ दे ।
डॉ गीतिका श्रीवास्तव
साइकोलॉजिस्ट