खलंगा के जंगल में 40 बीघा आरक्षित वन भूमि पर अतिक्रमण: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार और वन विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल

देहरादून, 17 जून नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य ने खलंगा के जंगल में 40 बीघा आरक्षित वन भूमि पर अवैध कब्जे और निर्माण कार्य को उत्तराखंड की भू-प्रबंधन प्रणाली पर गहरा हमला करार दिया है। उन्होंने इस घटना को “अत्यंत गंभीर भ्रष्टाचार से जुड़ा विषय” बताया और सवाल किया कि कैसे रिजर्व फॉरेस्ट के भीतर एक व्यक्ति ने जमीन को अपनी बताते हुए किसी अन्य को लीज पर दे दिया और वहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
श्री आर्य ने कहा कि यह क्षेत्र नालापानी के समीप स्थित है, जहां भूमाफियाओं की नजरें कैंपिंग और रिजॉर्ट बनाने पर टिकी हुई हैं। उन्होंने चेताया कि यदि इस प्रकार का निर्माण होता है, तो लगभग 5000 साल पुराने वृक्षों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
खलंगा जंगल न केवल पारिस्थितिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि यह 1814 के एंग्लो-नेपाली युद्ध के दौरान गोरखा वीरता की गाथा को संजोए हुए खलंगा युद्ध स्मारक के निकट स्थित है।
आर्य ने कहा कि सबसे चिंता की बात यह है कि वन विभाग, पुलिस और सरकार को इस अवैध गतिविधि की जानकारी तक नहीं थी, जबकि जंगलों में बसे वनवासी – विशेषकर वनगूजर – को वन विभाग आए दिन परेशान करता है।
उन्होंने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय और समयबद्ध जांच कराई जाए, तथा इसमें शामिल भू-माफियाओं, भ्रष्ट अधिकारियों और किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाए कि राज्य में और कितनी वन भूमि पर इसी प्रकार अवैध कब्जा किया गया है।

