त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में मनमर्जी पर हाईकोर्ट की रोक, यशपाल आर्य बोले – संवैधानिक संकट की स्थिति”

देहरादून, 23 जून नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य ने उत्तराखण्ड सरकार पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण के नियमों को दरकिनार कर संविधान और परंपराओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण के मामले में पंचायत चुनावों पर रोक लगाना इस बात का प्रमाण है कि राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।

श्री आर्य ने कहा कि पहले ही यह सवाल उठाया गया था कि सरकार ने पंचायत चुनावों के लिए आवश्यक आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन समय पर जारी नहीं किया, जो कि संविधान और न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्वयं हाईकोर्ट से 24 जून तक का समय मांगा था, परंतु उससे पहले ही चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी गई, जो गंभीर सवाल खड़े करती है।

उन्होंने यह भी कहा कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तब चुनाव कार्यक्रम घोषित करने की क्या आवश्यकता थी? इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर संदेह खड़ा होता है।

पंचायती राज सचिव द्वारा मीडिया में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए यशपाल आर्य ने कहा कि गजट नोटिफिकेशन के बिना कोई भी शासनादेश या अधिनियम लागू नहीं माना जा सकता। उन्होंने सचिव के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील पद पर रहते हुए किसी भी अधिकारी को भ्रम फैलाने वाले बयान नहीं देने चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से सवाल किया कि जब खुद उच्च न्यायालय ने आरक्षण की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, तो इसकी जवाबदेही कौन लेगा? उन्होंने मांग की कि प्रदेश की जनता को सरकार यह स्पष्ट करे कि त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों में नियमों की अनदेखी क्यों की गई।

श्री आर्य ने अंत में कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद ग्राम स्तर की सरकारों पर टिकी होती है, और यदि वहीं मनमर्जी और ग़ैरक़ानूनी तरीके अपनाए जाएंगे, तो यह सीधा जनता के अधिकारों का हनन होगा।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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