तहसीलदारों को जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल के निर्देश, कहा — खतौनी अद्यतन रखने में न बरतें ढिलाई

निर्विवाद उत्तराधिकार प्रकरणों का त्वरित निस्तारण करें — जिलाधिकारी
नैनीताल, 14 अक्तूबर (संवाददाता) —
जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने जिले के सभी तहसीलदारों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि गैर-विवादित नामांतरण एवं उत्तराधिकार से संबंधित प्रकरणों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के न्यायालयों में भू-राजस्व अधिनियम 1901 की धारा-34 के अंतर्गत लंबित प्रकरणों की संख्या अत्यधिक है, जिससे खतौनियों को अद्यतन रखना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके कारण खरीदारों को अंतरण के फलस्वरूप मिलने वाले विधिक अधिकारों एवं लाभों से वंचित होना पड़ रहा है, जो अत्यंत खेदजनक है।
जिलाधिकारी ने कहा कि उप-निबंधक स्तर से तहसीलदारों को अंतरण की सूचना उसी दिन प्राप्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त क्रेता, लेखपाल और पटवारी स्तर से प्राप्त सूचना पर उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोर्ट मैनुअल के पैरा-ए-373 के अनुसार भू-राजस्व अधिनियम की धारा-197 के तहत उद्घोषणा जारी की जानी चाहिए। उद्घोषणा की तामीली के पश्चात 30 दिन — व्यवहार में 35 दिन — की अवधि में यदि कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है तो नामांतरण आदेश पारित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि उद्घोषणा अवधि में कोई आपत्ति प्राप्त होती है, तो संबंधित पक्ष को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देते हुए नामांतरण आदेश किया जाए। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि नामांतरण की कार्यवाही अर्द्ध-न्यायिक प्रकृति की होती है, जिसका उद्देश्य खतौनियों को अद्यतन रखना एवं भू-राजस्व निर्धारण को सुव्यवस्थित करना है।
जिलाधिकारी रयाल ने चेतावनी दी कि जनहित से जुड़े गैर-विवादित नामांतरण प्रकरणों का निस्तारण निर्धारित समयसीमा के भीतर हर हाल में किया जाए। साथ ही, विवादित प्रकरणों में भी त्वरित सुनवाई कर निपटारा सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।

