धामी युग’: उत्तराखंड की राजनीति में नया कीर्तिमान

देहरादून, 28 जून — उत्तराखंड की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा के किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को पीछे छोड़ते हुए सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। वे अब तक 3 वर्ष 358 दिन तक मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं, और इस तरह उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
अब उनकी सीधी टक्कर उत्तराखंड के पहले पूर्णकालिक मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी से है, जिन्होंने 2002 से 2007 तक 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया था। क्या धामी इस रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे? यह सवाल अब राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता तक की चर्चाओं का विषय बन चुका है।
स्थायित्व की मिसाल: धामी का नेतृत्व क्यों अलग है?
युवा सोच, युवा संवाद
धामी स्वयं छात्र राजनीति से निकले नेता हैं। उन्होंने युवाओं से सीधे जुड़ने, प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार नीतियों पर विशेष ध्यान देकर एक भरोसेमंद जननेता की छवि बनाई है।
पारदर्शी प्रशासन और बुनियादी विकास
ई-गवर्नेंस, एकल खिड़की योजना, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, और सड़क/इंफ्रास्ट्रक्चर विकास जैसे निर्णयों ने शासन में पारदर्शिता और रफ्तार दी है।
दिल्ली से मजबूत संबंध
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार से अच्छे तालमेल के चलते उत्तराखंड में अर्थव्यवस्था, पर्यटन और कल्याणकारी योजनाओं को नई दिशा मिली है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री: कार्यकाल के आधार पर तुलना
क्रम नाम पार्टी कार्यकाल
1 पं. नारायण दत्त तिवारी कांग्रेस 2002 – 2007 (5 वर्ष)
2 पुष्कर सिंह धामी भाजपा 3 वर्ष 358 दिन (जारी)
3 त्रिवेंद्र सिंह रावत भाजपा 3 वर्ष 357 दिन
राजनीतिक विश्लेषण: क्यों आगे हैं धामी?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि धामी की शैली “कम बोली, ज़्यादा काम” की रही है। उन्होंने संगठन में एकजुटता, और सरकार में स्थिरता दोनों को साधा है। यही कारण है कि आज वे भाजपा हाईकमान के सबसे भरोसेमंद चेहरों में शामिल हो चुके हैं।
क्या टूटेगा तिवारी जी का रिकॉर्ड?
यदि भाजपा की स्थिति ऐसी ही बनी रही और धामी 2027 तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहे, तो निश्चित रूप से वह उत्तराखंड के सबसे लंबे समय तक कार्यरत मुख्यमंत्री बन जाएंगे। यह न केवल उनके लिए, बल्कि भाजपा के लिए भी एक ऐतिहासिक मोड़ होगा।
नया दौर: धामी युग की दस्तक
उत्तराखंड में राजनीति अब आंकड़ों से परे जाकर एक “नए विश्वास” और “सक्षम नेतृत्व” की मिसाल बन रही है। यह धामी युग न केवल स्थिरता का प्रतीक है, बल्कि एक ऐसी राजनीतिक परिपक्वता की ओर संकेत करता है, जिसकी राज्य को लंबे समय से दरकार थी।
> “धामी के नेतृत्व में भाजपा को स्थायित्व मिला है, जो आज के अस्थिर राजनीतिक दौर में दुर्लभ है।”
— राजनीतिक विश्लेषक, देहरादून

