उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर असमंजस

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है। प्रदेश की अधिकांश ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का कार्यकाल पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में समाप्त हो चुका है, लेकिन अभी तक नए चुनाव नहीं हो सके हैं।
*कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी*
सरकार ने पहले सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को प्रशासक नियुक्त किया था, और बाद में निवर्तमान ग्राम प्रधानों को यह जिम्मेदारी दी गई थी। अब इन प्रशासकों का कार्यकाल भी मई में समाप्त हो रहा है, जिसे बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
*ओबीसी आरक्षण और दो से अधिक बच्चों का मुद्दा*
पंचायती राज एक्ट में संशोधन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। ओबीसी आरक्षण और दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों पर प्रतिबंध संबंधी मामलों पर अब तक निर्णय नहीं हो पाया है।
*वित्तीय नुकसान*
पंचायत चुनाव न होने से विकास योजनाओं और वित्तीय व्यवस्थाओं पर भी प्रभाव पड़ रहा है। करीब 16 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
*पंचायत चुनाव की मांग*
पंचायत संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि प्रशासकों के बजाय चुनी हुई पंचायतों को काम करने का अधिकार मिलना चाहिए। राज्य सरकार को जल्द से जल्द चुनावी प्रक्रिया पूरी कर नई पंचायतों का गठन करना चाहिए।
