उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में बड़ा खुलासा — ENT विशेषज्ञों की नियुक्ति में अनियमितताएं, RTI एक्टिविस्ट चंद्रशेखर जोशी ने खोली परतें

भीमताल, नैनीताल, आर.टी.आई. एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री चंद्रशेखर जोशी, निवासी भीमताल, ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिससे उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। RTI के जरिए प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि ENT (नाक-कान-गला) विशेषज्ञों की तैनाती में प्रशासनिक लापरवाही, पद स्वीकृति नियमों की अनदेखी, और जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ सामने आया है।
RTI से प्राप्त तथ्य:
दिनांक 16 मई 2025 को स्वास्थ्य महानिदेशालय, उत्तराखंड द्वारा श्री जोशी को निम्नलिखित जानकारी प्रदान की गई:
जिला एवं उप-जिला चिकित्सालयों में ENT विशेषज्ञों के लिए 34 स्वीकृत पद हैं।
इनमें से 27 पदों पर नियुक्ति हुई है, जबकि 7 पद अब भी रिक्त हैं।
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❗ लेकिन असली विसंगति यहाँ है:
➤ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में, जहां ENT सर्जनों के पद स्वीकृत ही नहीं हैं, वहाँ 6 ENT विशेषज्ञों की तैनाती कर दी गई है।
➤ यानी स्वीकृत पद शून्य, लेकिन डॉक्टर तैनात — यह सीधी प्रशासनिक अनियमितता है।
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*📌 प्रशासन की गोलमोल जवाबदेही:*
RTI के उत्तर में विभाग ने कई डॉक्टरों की शैक्षिक योग्यता, अनुभव प्रमाणपत्र, और प्रमाणन स्थिति के बारे में जानकारी नहीं दी, बल्कि आवेदक को UMC (उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल) की वेबसाइट देखने की सलाह दे दी।
श्री जोशी ने इसे टालमटोल और अपारदर्शिता की मिसाल बताया।
🗣️ RTI एक्टिविस्ट चंद्रशेखर जोशी का बयान:
यह केवल आंकड़ों का खेल नहीं है — यह उत्तराखंड की आम जनता के जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है। जिस अस्पताल में ENT विशेषज्ञों की सबसे ज्यादा ज़रूरत है, वहाँ पद रिक्त हैं, और जहाँ स्वीकृति ही नहीं है, वहाँ डॉक्टर बैठाए जा रहे हैं। यह पूरी तरह से जनहित के खिलाफ है।”
⚠️ उठाए गए प्रमुख सवाल:
1-बिना स्वीकृत पदों के CHC में ENT विशेषज्ञ कैसे नियुक्त हुए?
2-क्या इन नियुक्तियों के पीछे कोई दबाव, भ्रष्टाचार या पक्षपात है?
3- जिन जिलों में ENT सेवाएं नहीं हैं, वहाँ के मरीजों की जिम्मेदारी कौन लेगा?
4 -क्यों नहीं सार्वजनिक रूप से ENT विशेषज्ञों की योग्यता व अनुभव साझा किए जा रहे हैं?
📣 श्री जोशी की मांगें:
इस पूरे मामले की स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच हो।
ENT विशेषज्ञों की तैनाती पद स्वीकृति के अनुसार की जाए।
जहां पद रिक्त हैं, वहाँ तत्काल नियुक्तियां हों।
RTI उत्तर में अधूरी जानकारी देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
📌 जनहित में संदेश:
यह मामला केवल एक विभागीय भूल नहीं है — यह राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव को कमजोर कर रहा है। श्री चंद्रशेखर जोशी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की सजगता ही इस तरह की विसंगतियों को सामने लाती है, ताकि जनता को उनका संवैधानिक अधिकार “स्वस्थ जीवन”मिल सके।

