जहाज में उड़ान भरेंगे बीडीसी तो प्रधान उठाएंगे फावड़ा

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए 144 चुनाव चिन्ह घोषित, मतदाता डालेंगे चार वोट

देहरादून, मुख्य संवाददाता।
उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया का खाका तैयार कर लिया है। इस बार प्रत्याशियों को दिए जाने वाले चुनाव चिन्हों ने चर्चा का नया विषय छेड़ दिया है। जहां क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) “जहाज” जैसे हाई-प्रोफाइल प्रतीकों के साथ चुनावी उड़ान भरेंगे, वहीं ग्राम प्रधान “फावड़ा” जैसे ज़मीनी चिन्हों के साथ अपनी किस्मत आजमाएंगे।

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों में विभिन्न पदों पर लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए कुल 144 चुनाव चिन्ह तय किए हैं। ये चिन्ह मतदाताओं की पहचान में मदद करेंगे, क्योंकि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों के नाम मतपत्र पर नहीं छपते, केवल चिन्हों के आधार पर वोटिंग होती है।

पदवार चिन्हों का विवरण:

पद चिन्हों की संख्या

ग्राम पंचायत सदस्य 18
ग्राम प्रधान 40
क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) 36
जिला पंचायत सदस्य 40

मतदाता डालेगा चार वोट:

त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के तहत एक मतदाता को चार अलग-अलग पदों के लिए मतदान करना होगा:

1. ग्राम पंचायत सदस्य

2. ग्राम प्रधान

3. क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी)

4. जिला पंचायत सदस्य

इन चुनावों के बाद ग्राम पंचायत के उप-प्रधान का चुनाव बैलेट के माध्यम से किया जाएगा। वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख का चयन निर्वाचित सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत पद्धति से होगा।

कुछ रोचक चुनाव चिन्ह:

चुनाव चिन्हों की सूची में कुछ बेहद रोचक और प्रतीकात्मक चिन्ह शामिल किए गए हैं।
क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) के लिए:

महिला पर्स

नारियल

लौकी

जहाज

पानी जहाज

कांटा

गुड़िया

टेबल लैम्प

ताज

जिला पंचायत सदस्य के लिए:

सीढ़ी

हथौड़ा

सैनिक

सीटी

महत्वपूर्ण तिथियां:

पहले चरण का मतदान: 24 जुलाई

चिन्हों का आवंटन: 14 जुलाई

दूसरे चरण का मतदान: 28 जुलाई

चिन्हों का आवंटन: 18 जुलाई

चुनाव चिन्हों में झलकता है लोकतंत्र का रंग:

ग्रामीण क्षेत्रों में जहां साक्षरता की कमी है, वहां प्रतीकों के माध्यम से मतदाता अपने उम्मीदवार की पहचान करते हैं। ऐसे में इन चिन्हों का चयन न सिर्फ तकनीकी प्रक्रिया है, बल्कि यह ग्रामीण जन-मानस की सोच और जीवनशैली को भी दर्शाता है।

जहां एक ओर “जहाज” और “ताज” जैसे चिन्ह किसी ऊंचे सपने की उड़ान का प्रतीक बनते हैं, वहीं “फावड़ा” और “हथौड़ा” ग्रामीण जीवन की मेहनत और हकीकत को दर्शाते हैं। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है – जहां हर प्रतीक अपनी कहानी कहता है, और हर वोट एक नई दिशा तय करता है।


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गिरीश भट्ट

मुख्य संवाददाता - मानस दर्पण

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